“कब कौनसी “श्वांस” जीवन की अंतिम श्वांस बन जाये कोई ठिकाना नहीं,फिर भी जीवन का यह व्यामोह छूटता नहीं”उपरोक्त उदगार मुनि श्री प्रमाणसागर महाराज ने आदिनाथ दि. जैन मंदिर छत्रपति नगर के मानस्तम्भ बेदी प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रथम दिवस प्रातःकालीन धर्मसभा में व्यक्त किये।
आज मुनि श्री ने दलाल बाग में अपनी देशना में कहा कि यह सारी दुनिया झूंठ की सरकार है उन्होंने चार सबाल जिंदगी के उठाते हुये कहा कि आपके अंदर यह बात उठना चाहिये कि में कौन हूं? मेरा क्या है? में क्या कर रहा हुं? और मुझे क्या करना चाहिये?जब जब भी आप अपने बारे में बिचार करते है कि में कौन हूं,?तो सबसे पहले आप अपना परिचय अपने नाम,पद और प्रतिष्ठा के साथ उल्लेख करते है बोलो करते हो या नहीं? क्या यह सच है? सत्य तो यह है कि “में ज्ञान दर्शन स्वरुपी एक आत्मा हूं, यह नाम,रुप और पद यह ऊपर का आबरण है यदि आप उस बेनाम छवि को ही निखारने में लग जाओगे तो अपने आपको कब पहचान पाओगे? जबाब देते हुये कहा कि जब तक आप भेद विज्ञान के माध्यम से अपनी आत्मा और शरीर को नहीं पहचानोगे तब तक आप इस देहाश्रित बुद्धि से निकलने बाले नहीं, मात्र शास्त्र की गद्दी पर बैठकर शरीर और आत्मा को भिन्न कहना सरल है लेकिन एक मच्छर काटे तो उसका सहना कठिन होता है,उन्होंने पूंछा कि आप लोग धर्म किसलिये करते है?
जबाव देते हुये कहा कि कुछ लोग परंपरागत चला आ रहा इसलिए करते है,तो कुछ पुण्य के लिये करते है, तो कुछ लोगअपने संकटों का निवारण करने के लिये करते है तो कुछ लोग समाज में प्रतिष्ठा पाने के लिये करते है,तो कुछ लोग देखादेखी भी करते है, मुनि श्री ने कहा कि यह सब धर्म का ऊपरी स्वरुप है आंतरिक स्वरूप तो जीवन का रुपांतरण है, पूरा जीवन व्यापार और मौजमस्ती में ही निकल गया आखिर अपना हित कब सोचोगे? बिचार करो यह मनुष्य जीवन क्यों पाया? उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन में ही इस भेद विज्ञान को समझ सकते हो,अन्य प्राणियों को तो समझने की बुद्धि ही नहीं।उन्होंने कहा कि स्वर्गीय बनो इसके पहले इस दिव्यआचरण को अपनाकर अपने इस मनुष्य जीवन को सार्थक कर सकते हो।देहाश्रित वुद्धि कभी आपका कल्याण नहीं कर सकती, यदि इस भव में भी यदि नाम रुप पद प्रतिष्ठा में उलझकर रहोगे तो संसार के इस चक्र से कभी आगे नहीं बड़पाओगे उन्होंने सलाह देते हुये कहा कि आयु कर्म क्षीण होता जा रहा है,कोरोना काल के पश्चात तो पता ही नहीं लगता किस समय किसकी श्वांस टूट जाऐगी हर पल मौत का स्मरण करो एवं रात्री को सोते समय तथा सुवह जब भी उठो तो सबसे पहले प्रभु परमात्मा का स्मरण कर बार बार चिंतन करो कि में कौन हुं?मेरा क्या है?
उत्तर मिलेगा “में शुद्ध ज्ञान दर्शन चैतन्य मयी आत्मा हूँ,उस आत्मा से पृथक संसार का एक भी परमाणु मेरा नहीं”ऐसी आध्यात्मिक प्रेरणा जागने से अहंकार और आसक्ती मिटेगी तथा जीवन में सहजता और सरलता स्वाभाविक रुप से प्रकट हो जाऐगी, जीवन आनंद से निकलेगा।इस अवसर पर मुनि श्री निर्वेग सागर महाराज, मुनि श्री संधान सागर महाराज सहित सभी क्षुल्लक गण मंचासीन थे। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू एवं
प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी ने बताया आज से तीन दिवसीय बेदी प्रतिष्ठा कार्यक्रम विधानाचार्य अभय भैया,अनिल भैया के निर्देशन में तथा पंडित सुदर्शन जी के सह निर्देशन में प्रारंभ हुआ,प्रातःप्रवचन के पूर्व संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के चित्र का अनावरण भुपेंद्र जैन कमल जैन अशोक डोसी, महामंत्री हर्ष जैन,रमेशचंद्र निर्वाणा ने किया वंही दीप प्रज्जवलन डॉ जैनेन्द्र जैन विपुल बाझल अखिलेश सोधिया राकेश नायक राजेश जैन दद्दू एवं वेदीप्रतिष्ठा के प्रमुख पात्र एवं छत्रपति नगर जिनालय के पदाधिकारिओं ने किया। राजेश जैन दद्दू ने बताया यह कार्यक्रम14 दिसंम्वर तक लगातार चलेगा मुनि श्री के मांगलिक प्रवचन प्रातः9 बजे से तथा दौपहर में 3 से 4 बजे तक समयसार का स्वाध्याय एवं सांयकालीन5:45 से शंकासमाधान का कार्यक्रम संपन्न होगा।
स्रोत- जैन गजट, 12 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/kab-konsi-svans-jeevan-ki-antim-svans/
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James martin
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