मुनि श्री ने कहा कि पहले परिवार में दादा दादी चाचा चाची हुआ करते थे और यदि कोई बात होती थी तो वह सम्हाल लिया करते थे आजकल तो “छोटी छोटी बातों पर व्यक्ति आग्रह कर अड़ जाता है और दुराग्रह पैदा हो जाते है”उन्होंने विनोद पूर्ण लहजे में एक किस्सा सुनाते हुये कहा कि घर में पति पत्नी थे और अपनी “भविष्य की संतान” के विषय में सोच रहे थे
मुनि श्री ने कहा कि पहले परिवार में दादा दादी चाचा चाची हुआ करते थे और यदि कोई बात होती थी तो वह सम्हाल लिया करते थे आजकल तो “छोटी छोटी बातों पर व्यक्ति आग्रह कर अड़ जाता है और दुराग्रह पैदा हो जाते है”उन्होंने विनोद पूर्ण लहजे में एक किस्सा सुनाते हुये कहा कि घर में पति पत्नी थे और अपनी “भविष्य की संतान” के विषय में सोच रहे थे पत्नी की इच्छा डाक्टर बनाने की थी जबकि पति उसे वैज्ञानिक बनाना चाहता था पत्नी कहती में नौ माह तक अपनी संतान को अपने पेट में रखूंगी में उसकी मां हूँ उसे डाक्टर ही बनाउंगी और पिता कहता कि आजकल गली गली में डाक्टर है में अपने बेटे को बैज्ञानिक ही बनाऊंगा दौनों अपनी जिद पर अड़ गये और बात तू तू में में पर पहुंच मामला तलाक तक पहुंच गया,जज समझदार था उसने मामले की तह में जाते हुये कहा कि आप बेटा को बुलाइये बेटा क्या बनना चाहता है?तो पति पत्नी दौनों एक साथ बोले कि अभी बेटा हुआ ही कंहा है?
जज के सामने उनको शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा मुनि श्री ने कहा कि बात हंसने की नही आप लोगों की हठाग्रही प्रवत्ति के कारण छोटी छोटी बातों पर ही उलझ पड़ते है, जिनका कोई सिर पैर नहीं होता कभी बच्चों की डिरेस को लेकर तो कभी अन्य छोटी छोटी बातों पर बच्चों के सामने ही माता पिता आपस में उलझ पड़ते है मुनि श्री ने कहा कि हटाग्रही नहीं बनिये खुद को मनाना सीखिये मन में खिन्नता मत लाइये,अपनी बात को इस प्रकार से रखो कि सामने बाला मान जाऐ तो ठीक नहीं माने तो ठीक अपनी बात को थोपिये मत उन्होंने कहा कि हम रोज आपको कहता हूं आप लोग हमारी बात को सुनते ही नहीं फिर भी हम कर्तव्य मानकर कहते रहते है आप लोग मान जाओ तो ठीक और नहीं मानो तो ठीक यदी हम अपने आग्रह में लग जाऐंगे तो मन में क्षोभ और क्लेश भी उत्पन्न होगा यही स्थिति समाज, परिवार रिस्तेदारी और मित्रों के बीच में उत्पन्न होती है।
उन्होंने कहा धर्म के मर्म को समझिये,अपने जीवन को ऐसा बनाओ कि वह सबमें रम सके सबको अपना बना सके यह तभी हो सकता है जब हम अपनी बात पर अड़ना बंद कर देंगे। सास ने बहु से कुछ कहा और बहु ने बात नहीं मानी बस इसी बात को लेकर ही घर में अशांति का माहौल बन जाता है हटाग्रही न बनें जीवन को रसमय तथा आनंदमय बनाऐं।इस अवसर पर मुनि श्री निर्वेग सागर महाराज ने कहा कि आजकल कम पड़े लोग सुख शांति से रहते है, ज्यादा पड़े लिखे लोग ज्यादा कन्फयूज हो रहे है बच्चे पहले भी पड़ते थे और 60% लाकर बच्चे तथा मां बाप दौनों खुश रहते थे अपना व्यापार कृषि आदि कर खुशी खुशी पूरा परिवार एक साथ रहता था आज 95% नम्वर लाने के पश्चात भी बच्चे रोते रोते घर आते है उसका कारण है कि बच्चों के ऊपर आपने टांप करने की मानसिकता बना रखी है थोड़े से कम नम्वर आने पर ही वह डिप्रेशन के शिकार हो जाते है,उन्होंने कहा कि बेटा और बेटियाँ को पड़ाई के साथ ही व्यव्हारिक ज्ञान भी दीजिये जिससे उनके अंदर सहनशीलता आऐ यदि वह 70% या कम नम्वर भी लाऐं तो उनका हौसला बडाइये जिससे वह अपने आप को कमजोर न समझें और आगे महनत करें। इस अवसर पर मुनि श्री संधान सागर महाराज सहित समस्त क्षुल्लक मंचासीन थे।
धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू एवं प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी ने बताया कि आज की धर्म सभा में छत्रपति नगर समाज के अध्यक्ष भुपेंद्र जैन, विपुल बाझल,कमल जैन चेलेजर, श्रुत जैन, विरेन्द्र जेन, राकेश नायक आदि समाज जन उपस्थित हुए और छत्रपति नगर में परम पुज्य मुनि संसघ का मंगल प्रवेश एवं नवनिर्मित मानस्तभ में वेदी प्रतिष्ठा मुनिससंघ के सानिध्य में हो । यह पुनीत भावना के साथ श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। मुनि संसघ ने आहार चर्या उपरांत दौपहर में 1:30 बजे उदासीन आश्रम कंचनबाग की और प्रस्थान किया, सांयकाल 5:45 से बहुचर्चित शंकासमाधान कार्यक्रम एवं रात्री में गोकुल नगर के पंचकल्याणक महोत्सव के प्रमुख पात्रों एवं भगवान के माता-पिता की गोद भराई भी आज होगी विश्राम यंही संपन्न होगा 30 नवम्वर शनिवार को मुनिसंघ प्रातः6:30 बजे वैभवनगर की ओर प्रस्थान करेंगे मंगल अगवानी 7:30 बजे संविद नगर कनाडिया रोड़ से की जाऐगी पंचकल्याणक महामहोत्सव समिति केसंयोजक हर्ष तृप्ति जैन धर्मप्रभावना समिति के अध्यक्ष अशोक रानी डोसी नवीन आनंद गोधा सहित समस्त पदाधिकारिओं ने सकल दि. जैन इंदौर से आग्रह किया है कि मुनिसंघ की मंगल अगवानी कर पुण्यलाभ अर्जित करें।
स्रोत- जैन गजट, 29 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/jeevan-ko-khushhal-banana-ho-to-agrah/
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James martin
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