News details

img समाचार

सम्पूर्ण भारत वर्ष समा रहा है राजधानी दिल्ली में, भगवती जिनदीक्षा महामहोत्सव में बढ़ रहे हैं गुरु भक्तों के कदम

जीवन है पानी की बूंद” महाकाव्य जिनकी मूल रचना है। “देश और धर्म के लिए जिओ जिनकी इस मौलिक रचना को मध्यप्रदेश शिक्षा बोर्ड में शामिल किया गया है। 

जीवन है पानी की बूंद” महाकाव्य जिनकी मूल रचना है। “देश और धर्म के लिए जिओ जिनकी इस मौलिक रचना को मध्यप्रदेश शिक्षा बोर्ड में शामिल किया गया है। जिनके मौलिक महनीय अवदानों से सम्पूर्ण धरा गौरवान्वित हो रही है, ऐसे अलौकिक अभूतपूर्व व्यक्तित्व-कृतित्व को धारण करने वाले राष्ट्रयोगी संत श्रमणान्धार्य गुरुदेव श्री 108 विमर्शसागर जी जयन्ती महोत्सव वर्ष 2022-2024 का समापन महामुनिराज की 50वीं जयंती “स्वर्णिम विमर्श उत्सव रूप में “के बुधवार, 13 नवंबर को राजधानी दिल्ली के “जिनतीर्थ मंडपम” सीबीडी ग्राउंड में में सम्पन्न किया गया द्वितीय दिवस आचार्य भगवती जिनदीका महामहोत्सव के 2024 में राजधानी में परिवर्तन भी सम्पन्न हुआ। सुवरुद्ध अनुष्ठान में समापन के साथ वर्ष- चातुर्मास रत विशाल चतुर्विध संघ का भव्य पिच्छिका मध्याहून अनुष्ठान के प्रारंभ में सभाका चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन पूर्व शिक्षा मंत्री श्री अरविन्द सिंह “लवली जी”, पूर्व निगम पार्षद सुरेन्द्र शर्मा एवं जिलाध्यक्ष अमित सूद, शैलेष जैन, बॉबी हाजरी द्वारा किया गया। रवि जैन’ गुरुजी के साथ अनेक ज्योतिषी विद्वानों ने आचार्य भगवन के पूरे भारत के प्रमुख विद्वान, श्री शीतल प्रसाद, डाॅ. श्रेयोस जैन बड़ौत, प्रो. श्रेयांश जैन जयपुर, प्रो. नलिन के शास्त्री, पंडित विनोद जैन राजावास एवं ज्योतिषाचार्य रवि जैन गुरुजी ने आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज के महान व्यक्तित्व एवं कृतित्व को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। विद्वानों ने कहा, “आचार्य श्री। वे अपनी निर्मलु साधना के माध्यम से पूरे जिनशासन और पूरे घर को अपने कर्मों और चेतन और अचेतन कर्मों से ज्ञान और चरित्र से प्रकाशित कर रहे हैं। आचार्य श्री ने जैन एकता के लिए जिनगामा पंध का दिव्य सूत्र दिया। अद्भुत जिनशासन प्रभाव प्रदान करता है।” • आख्यान वाचस्थति अन् श्रश्रेयांस जैन बड़ौत को सम्मानित किया गया “विमर्शरल • अलंकरण से एवं दिया “भावलिंगी संत पुरुस्कार”। आयोजन का मुख्य आकर्षण केन्द्र रहा “बाल ब्रह्मचारिणी विमर्शानुरागिनी विशु दीदी” का वह संघर्ष जब उनके जीवन में कर्मों की काली घटायें छा रहीं थीं और गुरु विमर्श के शुभाशीष एवं अपनी अपरिमित गुरु भक्ति से सभी संघर्षों को पार करते हुए आप्त संयम शिखर पर कदम बढ़ा रहीं हैं। लघु नाटिका द्वारा प्रस्तुत किया गया इस पंचम काल का महान अतिशय । • भजन सम्राट श्री रूपेश जैन आचार्य गुरुवार विमर्शसागर जी महामुनिराज के झाशीष से आज स्वर दुनिया के सरताज बन रहे हैं, धरम गुरु भक्त भाई रूपेश जैन को गुरुवर विमर्शसागर जी मुनिराज के पादमूल में अलंकरण से उनका गौरव बढ़ाया गया । ही “विमशरत्न” “स्वर्णिम विमर्श उत्सव” महोत्सव के अवसर पर भावलिंगी संत आचार्य गुरुदेव श्री विमर्श सागर जी महासुनिराज की महापूजा देशभर से पधारे एवं स्थानीय राजधानी दिल्ली के परम
गुरु भक्तों द्वारा सम्पादित की गयी।
* इसी पवित्र दिवसर पर प्रखर वक्ता बा. क्र. आशीष जैन पुष्यांश जी को भी परम गुरु भक्त का दर्जा प्रदान करते हुए “विमर्श रल” अलंकरण से सम्मान कर उनका गौरव बढ़ाया गया । स्वर्णिम विमर्श उत्सव एवं भगवती जिनदीक्षा महोत्सव की सुवृहद श्रृंखला में चतुर्विध संघ का भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह भी सम्पन्न किया गया। जिसमें परमपूज्य आचार्यश्री विमर्शसागर जी महामुनिराज को एवं चतुर्विधसंघ को नवीन पिच्छिका भेंट करने का सौभाग्य परम गुरु भक्तों को प्राप्त हुआ वहीं गुरुदेव की एवं समर संघ की पुरानी पिच्छिका प्राप्त करने का सौभाग्य भी धर्ममार्ग पर अपने आगामी कदम बढ़ाने वालों को प्राप्त हुआ। संध्या बेला में सुप्रसिद्ध भजन गायक विक्की डी पारिख मुम्बई द्वारा दीक्षार्थियों के समक्ष “वैरागी विदाई समारोह भी आयोजित किया गया।
14 नवम्बर को दोपहर 12 बजे से आदर्शमहाकवि आचार्यश्री विमर्शसागर जी महामुनिराज के चरणों में बैठकर डॉ. कुमार विश्वास करेंगे काव्य पाठ । शाम 05 बजे से निकलेगी अभूतपूर्व “महा विनौली यात्रा” रात 10 बजे होगा अद्भुत “ड्रोन शो।” 15 नवम्बर सम्पूर्ण भारत के साथ समूचा विश्व एवं तीनों लोकों की आँखें होगी मात्र दिल्ली में जहाँ आयोजित होगा भगवती जिनदीक्षा महोत्सव

स्रोत- जैन गजट, 14 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/bhind-se-sonal-jain-ki-report-3/

icon

Children education manual .pdf

2 Comments

img
James martin
Reply

Lorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.

img
James martin
Reply

Lorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.

Leave a comment