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भगवान महावीर स्वामी का 2550 निर्माण महोत्सव लड्डू चढ़ाने में मुनि भक्तों का शैलाब उमडा

नैनवा 1 नवंबर 2024 शुक्रवार को प्रातः काल 7:00 बजे महावीर जिनालय शांति वीर स्थल पर तीन मुनिराज के संग में मुनि श्री श्रुतेशसागर जी मुनि सविज्ञसागर जी क्षुल्लक 105 सुप्रकाश सागर जी के परम सानिध्य में भगवान महावीर स्वामी का अभिषेक शांति धारा पूजन का निर्माण कांड बोलकर द्वारा निर्माण लड्डू चढ़ाया

आचार्य 108 चतुर्थ पटाधीश सुनील सागर जी महाराज के परम पावन शिष्यों के वर्षा योग निर्माण होने पर धर्म की महत्व तप प्रभावना हुई
नैनवा 1 नवंबर 2024 शुक्रवार को प्रातः काल 7:00 बजे महावीर जिनालय शांति वीर स्थल पर तीन मुनिराज के संग में मुनि श्री श्रुतेशसागर जी मुनि सविज्ञसागर जी क्षुल्लक 105 सुप्रकाश सागर जी के परम सानिध्य में भगवान महावीर स्वामी का अभिषेक शांति धारा पूजन का निर्माण कांड बोलकर द्वारा निर्माण लड्डू चढ़ाया
अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले भगवान महावीर जी
जैन मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया आज पूरे विश्व में 2550 निर्माण महोत्सव पर सत्य अहिंसा का मार्ग बताने वाले शासन नायक महावीर का शासन काल चल रहा है
इसी दिन भगवान महावीर ध्यान में बैठकर ध्यान किया था इस कारण ही इसका नाम धनतेरस जाना जाता है महावीर जब मुनि मार्ग में थे तब शाकलो जकड़ी हुई चंदनबाला ने उनको आहार दान किया था महावीर स्वामी जंगलों में साधना करते थे वह 45 दिन 60 दिन 75 दिन में एक बार आहार ग्रहण करते थे ईश्वर ने भी अपनी आत्मा को तपया था जेसे सुनार ने सोने को अग्नि में तपाकर शुद्ध करता है उसी प्रकार ही मुनि भी 5 माह 6 माह तक उपवास करके धर्म की साधना करते थे एवं अपने शरीर को तपाकर आत्मा मे केवल ज्ञान प्राप्त करते थे
भगवान महावीर का जन्म 2611 वर्ष पहले वैशाली के कुंडलपुर गांव में हुआ था 6 माह पहले गर्भ में आने से इंद्रो द्वारा 15 माह तक रत्नो की वर्षा की थी राजा सिद्धार्थ माता त्रिशला के घर पर देवताओं ने जय जयकार से कुंडलपुर गांव में उत्सव मनाया था
भगवान महावीर ने सभी जीवों को दिव्या देश में बताया कि सब पर दया करना अहिंसा धर्म है पथवाद का मतभेद नहीं करना चाहिए प्राणी मात्र को बताया था
आज भगवान महावीर का शासन काल चल रहा है हमें भी उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में उतरना चाहिए नैनवा धर्म नगरी है जहां पर 10 जिनालय बने हुए हैं जैन मुनि सविज्ञसागर जी महाराज द्वारा वर्षा योग में 48 उपवास निर्जला बिना पानी के नैनवा की धारा पर किये हैं इस कारण यह नगर धर्म नगरी के नाम से जाना जाता है
ऐसा मुनि ने अपने उद्बोधन में बताया

स्रोत- जैन गजट, 1 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/bhagwan-mahavir-swami-ka-2550/

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2 Comments

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James martin
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