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अंग्रेजी नूतन वर्ष 2025 पर विशेष

अंग्रेजी वर्ष 2024को अलविदा, 2025 का स्वागत। अंग्रेजी नया साल दुनिया में सबसे अधिक मनाया जाने वाले दिनों में से एक है। इस दिन को अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं से आकार दिया जाता है।

अंग्रेजी वर्ष 2024को अलविदा, 2025 का स्वागत। अंग्रेजी नया साल दुनिया में सबसे अधिक मनाया जाने वाले दिनों में से एक है। इस दिन को अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं से आकार दिया जाता है। इस दिन पर नए साल के मंगलमय गुजरने की ख़ुशी में और आने वाले साल की अच्छी कामना के लिए संकल्प लिया जाता है।  यूं तो पूरे विश्व में नया साल अलग-अलग दिन मनाया जाता है और भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में भी नए साल की शुरूआत अलग-अलग समय होती है। लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी से नए साल की शुरूआत मानी जाती है। चूंकि 31 दिसंबर को एक वर्ष का अंत होने के बाद 1 जनवरी से नए अंग्रेजी कैलेंडर वर्ष की शुरूआत होती है। इसलिए इस दिन को पूरी दुनिया में नया साल शुरू होने के उपलक्ष्य में त्यौहार की तरह मनाया जाता है। चूंकि साल नया है, इसलिए नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य, नए आईडियाज के साथ इसका स्वागत किया जाता है। नया साल मनाने के पीछे मान्यता है कि साल का पहला दिन अगर उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाए, तो साल भर इसी उत्साह और खुशियों के साथ ही बीतेगा।

कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं :

 1 जनवरी को मनाए जाने वाला नया वर्ष भारतीय संस्कृति का नहीं है। भारत में पश्चिमी सभ्यता के बढ़ते चलन के कारण नव वर्ष का दिन 1 जनवरी, भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण उत्सव का दिन माना जाता है। हिन्दू नववर्ष का आगाज गुड़ी पड़वा से होता है। जैन परंपरा में भगवान महावीर स्वामी के निर्वाणोत्सव के अगले दिन से नए वर्ष का शुभारंभ माना जाता है। वीर निर्वाण संवत् भारत का प्रमाणिक और सबसे प्राचीन  संवत है।

 नए संकल्प और अच्छे कार्यों का लें प्रण :

 यह भी सच है कि पश्चिम से आये इस अंग्रेजी वर्ष के पहले दिन का स्वागत हम भोग, विलास के आयोजनों से करते हैं। इस दिन खासतौर से हमारा युवा वर्ग न जाने कितने अनैतिक कार्यों में लिप्त होकर इसका स्वागत करता है। जबकि होना यह चाहिए कि हम नव वर्ष का स्वागत नए संकल्प और अच्छे कार्यों के साथ करें। इस दिन को पूजा, प्रार्थना और परोपकार के कार्यों लगाना चाहिए ताकि पूरा वर्ष हमें एक नई दिशा दिखाए, उन्नति के नई सूत्र हमें प्राप्त हों पर अफसोस हमारा युवा वर्ग पश्चिमी आवोहवा इतना बह गया है कि वह अपना विवेक खोता जा रहा है। नया वर्ष मनाने की सार्थकता तो तभी है जब हम इस दिन असहाय की मदद करें, अपने धन का सदुपयोग करें , जरूरतमंदों के सहारा बनें, प्रभु प्रार्थना करें कि यह वर्ष खुशियों से भरा हो, दुःखद अतीत वापस न आये, पर्यावरण के संरक्षण में योगदान , माता पिता के सम्मान , स्वच्छता की सपथ लेने के संकल्प लें।

हमारे पूज्य संत भी अब युवा पीढ़ी को जागरूक कर रहे हैं। 1 जनवरी को अब अनेक जगह विविध धार्मिक आयोजन होने से युवा पीढ़ी को अंग्रेजी नव वर्ष के प्रथम दिवस भोग-विलास की जगह धर्म से जोड़ रहे हैं, यह अच्छी पहल है।

  बीति ताहि बिसारी के आगे की सुध लेहि :

नया साल एक नई शुरूआत को दर्शाता है और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देता है। पुराने साल में हमने जो भी किया, सीखा, सफल या असफल हुए उससे सीख लेकर, एक नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जिस प्रकार हम पुराने साल के समाप्त होने पर दुखी नहीं होते बल्‍कि नए साल का स्वागत बड़े उत्साह और खुशी के साथ करते हैं, उसी तरह जीवन में भी बीते हुए समय को लेकर हमें दुखी नहीं होना चाहिए। जो बीत गया उसके बारे में सोचने की अपेक्षा आने वाले अवसरों का स्वागत करें और उनके जरिए जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करें।

नव वर्ष का दिन सभी लोगों को बताता है कि अब हमें बीते हुए साल को खुशी खुशी विदा कर देना चाहिए और खुशी-खुशी नए साल का स्वागत करना चाहिए। जीवन में हमेशा अतीत को भुलाकर वर्तमान के विषय में सोचना चाहिए जिससे हमारा आने वाला भविष्य उज्जवल बने।

जैन समाज के लिए रहा उतार- चढ़ाव वाला वर्ष :

जैन समाज के लिए यह वर्ष उतार- चढ़ाव वाला रहा। जहाँ अनेक ऐतिहासिक कार्य हुए वहीं अनेक विवादस्पद कार्यों से दो चार होना पड़ा। विद्वानों में अनेक विषयों पर चिंतन, मंथन और ऊहापोह रहा।

वर्तमान शासन नायक  24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2550 वां निर्वाण महोत्सव, चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज का आचार्य पद शताब्दी महोत्सव, राष्ट्रसंत  आचार्य श्री विद्यानंदजी का  शताब्दी महोत्सव आदि अनेक धार्मिक- सांस्कृतिक- संरक्षण- संवर्धन के आयोजन हुए।

वर्ष 2024 श्रमण संस्कृति के लिए अच्छा नहीं रहा। परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं परम पूज्य गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज का समाधिमरण जैन समाज को बहुत बड़ा आघात दे गया, इन महान संतों के जाने से जो शून्य उत्पन्न हुआ है उसकी पूर्ति संभव नहीं है। वर्ष 2024 की सबसे बड़ी उपलब्धि रही प्राकृत भाषा को भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा घोषित करना। निश्चित ही यह ऐतिहासिक कार्य हुआ है। गिरनार जी सिद्धक्षेत्र की गूंज संसद तक सुनाई दी। अनेक नेताओं ने गिरनार जी सिद्धक्षेत्र पर जैन संस्कृति के साथ हो रहे खिलवाड़ पर सरकार से प्रश्न पूछे।

वर्तमान दौर में एकता ही जीत की गारंटी देता है।  हमारा यह संघर्ष अब भी निरंतर जारी है।

जीवन में हर व्यक्ति को दुखों के बाद सुख मिलते हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें निरंतर परिश्रम करना चाहिए। जैसे मौसम बदलते हैं और मानव को जीवन जीने का सरल तरीका बताते हैं, ठीक वैसे ही नए साल का आगमन भी हमें जीवन जीने के लिए प्रेरित करने का काम करता है।

एक अध्याय के अंत और दूसरे की शुरुआत का प्रतीक है:

नया साल हमें असफलताओं पर रोना नहीं सिखाता, बल्कि यह तो हमें सफल बनाता है।

नए साल की सुबह हमें फिर से साहस के साथ आगे बढ़ना चाहिए।नए साल को संभवनाओं के भंडार के रूप में देखे, तभी आप जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। संघर्ष की राह पर निरंतर निडरता से चलने वाले ही सफलता के शीर्ष पर पहुंचते हैं। नए साल में अपने कुछ उद्देश्य निर्धारित करें और एक नया सफ़र शुरू करें। नए साल में प्रवेश करने से पहले आपका आत्मविश्वास हर प्रकार से शीर्ष पर होना चाहिए।

यह एक अध्याय के अंत और दूसरे की शुरुआत का प्रतीक है, जो लोगों को नए अवसरों को अपनाने और नए संकल्प लेने के लिए प्रेरित करता है।

अब जब हम 2025 में कदम रख रहे हैं, तो हमारे सामने एक खाली कैनवास है, जो हमारी आकांक्षाओं को चित्रित करने के लिए हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। आइए इस वर्ष को महत्वाकांक्षा, साहस और करुणा का समय बनाएं। चाहे वह व्यक्तिगत लक्ष्यों का पीछा करना हो, मजबूत संबंधों को बढ़ावा देना हो, या दूसरों की भलाई में योगदान देना हो, आइए बदलाव लाने के हर अवसर का लाभ उठाएं।

2025 में, आइए हम अपने प्रयासों में एक-दूसरे का साथ दें और मुश्किल समय में एक-दूसरे का हौसला बढ़ाएं। साथ मिलकर हम अविश्वसनीय चीजें हासिल कर सकते हैं। एक समुदाय के रूप में, हमारी सामूहिक ताकत, रचनात्मकता और दृढ़ संकल्प एक स्थायी प्रभाव डाल सकते हैं – न केवल हमारे लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी।

2024 हमसे बिछड़ गया है, यादों के झुरमुट में कुछ पन्ने और जुड़ जाएंगे।

खट्टी मिट्ठी यादों के साथ कैलेंडर बदल गया है।

न भारतीयो नव संवत्सरोयं

     तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् ।

यतो धरित्री निखिलैव माता

     तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।।

यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है, तथापि सबके लिये कल्याणप्रद हो; क्योंकि सम्पूर्ण विश्व हमारा कुटुम्ब ही तो है !

स्रोत- जैन गजट, 28 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/angreji-nutan-varsh-2025-par-vishesh/

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James martin
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