News details

img समाचार

राजधानी दिल्ली में गूंजा भावलिंगी संत द्वारा सहज सिद्धि प्राप्त “श्री शान्तिभक्ति” का महान अतिशय

सिद्धक्षेत्र अहार जी की घरा पर 25 दिसम्बर 2015 का वह पावन दिन था जब वर्तमान के संघ शिरोमणि भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज को पंचमकाल की अतिदुर्लभतम “श्री शान्ति भक्ति” की सिद्धि अपनी विशुद्ध अनुपम साधना से सहज ही प्राप्त हो गयी थी।

सिद्धक्षेत्र अहार जी की घरा पर 25 दिसम्बर 2015 का वह पावन दिन था जब वर्तमान के संघ शिरोमणि भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज को पंचमकाल की अतिदुर्लभतम “श्री शान्ति भक्ति” की सिद्धि अपनी विशुद्ध अनुपम साधना से सहज ही प्राप्त हो गयी थी। साधना और तपश्चरण की पराकाष्ठा के फलस्वरूप प्राप्त व्यी “श्री शान्ति भक्ति” की सिद्धि के महान प्रभाव से आचार्य श्री की संघस्थ शिष्या “बाल ब्रह्मचारिणी विश दीदी “जो वर्तमान में ‘आचार्य श्री के पादमूल “आर्यिका रत्न श्री विमर्शिता श्री माताजी” के रूप में साधनारत हैं। सन् 2015 के दिसम्बर माह में जब विश दीदी असाध्य रोग से ग्रसित थीं और विश्व के प्रसिद्ध डाक्टर्स ने भी यह कहकर अपने हाथ खड़े कर लिए थे कि “कोई कोई रोग ऐसे होते हैं जिनका विज्ञान के पास भी कोई समाधान नहीं होता, अब दीदी कभी स्वस्थ न हो सकेंगीं।” ऐसी विकट परिस्थति में भी विश दीदी ने अपनी अकंप श्रद्धा का श्रेष्ठ परिचय प्रस्तुत करते हुए डॉक्टर्स से कहा था- आप भले ही मुझे स्वस्थ नहीं कर पाये किन्तु मेरे गुरुदेव मुझे अवश्य ठीक करेंगे।” 25 दिसम्बर 2015 का वह अतिशयकारी दिन था जब वर्तमान के भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज ने सिद्धक क्षेत्र अहार जी में अपनी असाध्य रोग ग्रसित शिष्या को ‘अतिशयकारी “श्री शान्ति भक्ति ” का पाठ सुनाकर उन्हें रोग मुक्त कर पुनः मोक्षमार्ग पर अग्रसर किया था।
राजधानी दिल्ली को परम वन्दनीय आचार्य श्री के चरणों में बैठकर 10 वाँ “श्री शान्ति भक्ति सिद्धि दिवस” मनाने को प्राप्त हुआ । राजधानी के कृष्णानगर स्थित रत्नदेषी विद्यालय प्रांगण में वृहद स्तर पर मध्याह बेला में “श्री शान्तिनाय दिगार्चना” सम्पन्न की गयी। धर्मात्मा श्रावकों के 51 विशिष्ट परिवारों द्वारा 51 माइने एवं एक वृहद मांडना बनाकर यह ‘शान्तिनाय दिव्यार्चना ” हजारों की संख्या में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं के बीच आचार्य संघ के पादमूल में सानन्द-हर्षोल्लास पूर्वक सम्पन्न हुयी।
आचार्य ने कहा – ” श्रीशान्ति भक्ति का अतिशय देख रोमांचित हूँ।

स्रोत- जैन गजट, 27 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/rajhdhani-delhi-mai-gunja/

icon

Children education manual .pdf

2 Comments

img
James martin
Reply

Lorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.

img
James martin
Reply

Lorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.

Leave a comment