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मृत्यु मेहमान की तरह आती है अपने को साथ ले चली जाती है

दिगंबर जैन मंदिर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए
परम पूज्य , प्रवचन केसरी,मुनि श्री विश्रांत सागर महाराज जी ने अपने मंगल प्रवचन में कहा है कि मृत्यु का कोई भरोसा नहीं है, आचार्य विराग सागर जी जैसे महा मुनिराज को मृत्यु ने नहीं छोड़ा है तो हम जैसे लोगों को मृत्यु कैसे छोड़ सकती है अतः मृत्यु आए उसके पूर्व संभल जाओ उसी में कल्याण है , 

दिगंबर जैन मंदिर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए
परम पूज्य , प्रवचन केसरी,मुनि श्री विश्रांत सागर महाराज जी ने अपने मंगल प्रवचन में कहा है कि मृत्यु का कोई भरोसा नहीं है, आचार्य विराग सागर जी जैसे महा मुनिराज को मृत्यु ने नहीं छोड़ा है तो हम जैसे लोगों को मृत्यु कैसे छोड़ सकती है अतः मृत्यु आए उसके पूर्व संभल जाओ उसी में कल्याण है , आज का मनुष्य मृत्यु से बहुत भयभीत हो रहा है लेकिन यह सत्य है कि जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु होना निश्चित है समय रहते मनुष्य को अच्छे धार्मिक कार्य करना चाहिए जिससे मृत्यु भी एक महोत्सव बने
लोग गाजे-बाजे खुशियों के साथ मृत्यु के बाद उत्सव के रूप में उसे शमशान घाट तक छोड़ने जावे वही मृत्यु सार्थक है
मुनि ने यह भी बताया आज मनुष्य चिकित्सालय में सड
सड कर बीमारियों से मर रहा आज की दुर्गतियो से बचाने वाला केवल एक अपना धर्म और अपना कर्म ही है दूसरा कोई इसका साथी नहीं हैआज के आहार सकल दिगंबर जैन समाज रीठी के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार जैन के घर पर हुए,

स्रोत- जैन गजट, 26 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/mritu-mehman-ki-tareh-ati-hai/

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