News details

img समाचार

जिस मनुष्य के जीवन में श्रद्धा- समझ- संस्कार और संयम ये चारों बातें आ जाती है,उसके ऊपर कितना भी बड़ा संकट आ जाऐ वह अपनी “श्रद्धा” से कभी विचलित नहीं होता बल्कि संकट के समय उसकी श्रद्धा और भी ज्यादा मजबूत हो जाती है

जिस मनुष्य के जीवन में श्रद्धा- समझ- संस्कार और संयम ये चारों बातें आ जाती है,उसके ऊपर कितना भी बड़ा संकट आ जाऐ वह अपनी “श्रद्धा” से कभी विचलित नहीं होता बल्कि संकट के समय उसकी श्रद्धा और भी ज्यादा मजबूत हो जाती है” उपरोक्त उदगार मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने तुलसीनगर स्थित दि. जैन मंदिर के प्रागड़ में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये।

आज तुलसी नगर में मुनि श्री ने कहा कि जिसके जीवन में श्रद्धा, समझ,संस्कार और संयम यह चारों आत्मसात हो गये तो तय मानना वह कभी दुखी नहीं हो सकता उन्होंने कहा कि आप लोग रोज रोज मंदिर गये और भगवान के या गुरु के सामने अपना मस्तक झुकाया और आपकी श्रद्धा पक्की हो गयी यह जरुरी नहीं, “श्रद्धा” का मतलव है, भगवान के द्वारा प्रतिपादित तत्वों को जीवन का सर्वश्रेष्ठ आदर्श मानकर अपने जीवन को जीना” मुनि श्री ने कहा कि आप लोग भगवान के प्रति श्रद्धा तो प्रकट कर देते हो लेकिन भगवान के वचनों के प्रति विश्वास बहुत कम लोगों में नजर आता है जिनको भगवान के प्रति विश्वास होता है उनको कोई विचलित नहीं कर सकता उन्होंने शास्त्रोक्त कथा के दो उदाहरण दिये पहला अंजन चोर का था 

जिसे णमोकार महामंत्र तो नहीं आता था लेकिन उसे सेठ पर पक्का विश्वास था कि जिस मंत्र की वह सिद्धी कर रहा है, वह निर्थक नहीं है यह मंत्र अमोघ मंत्र है और उसके अंदर सम्यक् श्रद्धा तो थी कुसंग वस उसके संस्कार विगड़ गये थे और उसने सेठ के बचन को प्रमाण मान कर श्रद्धान किया और बोला “आणम ताणं कछु न जानं सेठ बचन प्रमाणं” और अपने प्राणों की परवाह न कर उन अस्त्रों के ऊपर से सींकचे की रस्सी काट दी और वह विद्या सिद्ध हो गयी सेठ के मन में संशय था उसने मंत्र को सिद्ध तो कर लिया लेकिन उसे डर लगता था कि यदि में उन रस्सियों को नहीं काट पाया तो मेरे जीवन का अंत हो जाऐगा लेकिन अंजन चोर को मंत्र पर अगाध श्रद्धा थी और अंजन चोर से निरंजन बन कर अपने जीवन का उद्धार कर गया, दूसरा उदाहरण सुदर्शन सेठ का है जो एक शीलवान चरित्रवान धर्मनिष्ट बहूत सुंदर श्रावक थे रानी उन पर आसक्त हो गयी और उन्होंने सुदर्शन सेठ से प्रणय निवेदन किया जिसे सेठ ने नकार दिया तो रानी बौखला उठी और उसने त्रियाचरित्र के माध्यम से सुदर्शन सेठ को फंसा दिया राजा ने रानी की बात को सच मानकर सुदर्शन सेठ को गिरफ्तार कर सरेआम फांसी की सजा सुना दी लेकिन सुदर्शन सेठ को अपने श्रद्धान पर पक्का विश्वास था उसने णमोकार महामंत्र का सहारा लिया और जब उसे फांसी दी जा रही थी और चमत्कार हो गया फांसी का वह फंदा फूलों की माला बन गयी। 

मुनि श्री ने कहा कि इन दौनों कथाओं में सबसे मूल तत्व है “श्रद्धा”और “आत्मविश्वास” जिसके बल पर स्थिरता आती है और हम बड़ी से बड़ी बाधाओं को पार कर जाते है।मुनि श्री ने कहा कि बस्तु स्वरुप को समझ लेता है वह छोटी छोटी बातों को नजरंदाज कर सही समझ विकसित कर संसार के संयोगों को अपने आश्रित न मानकर निमित्त नैमित्तिक सम्वंध मानता है।कर्म के संयोग से ही अनुकूल प्रतिकूल संयोग बनते विगड़ते है उन्होंने कहा कि समझ जब विकसित हो जाती है तो उनका जीवन धन्य बन जाता है।इस अवसर पर मुनि श्री निर्वेग सागर महाराज ने कहा कि आस्था हमें प्रभु से जोड़ती है जो हमारी श्रद्धा को और मजबूत बनाती है,जैसे पतंग आकाश में उड़ती है और उसके उड़ाने बाला धरती पर अपने आपको सुखी महसूस करता है उसी प्रकार देव शास्त्र गुरु के प्रति हमारी आस्था जितनी प्रगाढ़ होगी उतना ही हमें आनंद महसूस होगा इस अवसर पर मुनि श्री संधान सागर महाराज एवं सभी क्षुल्लक मंचासीन रहे मुनिसंघ के प्रवक्ता अविनाश जैन एवं धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया मुनिसंघ तुलसीनगर में विराजमान है।सांयकालीन शंकासमाधान कार्यक्रम 5:45 से संचालित हो रहा है।संचालन बाल ब्र. नितिन भैया खुरई ने किया धर्म प्रभावना समिति के महामंत्री हर्ष जैन सहित समस्त पदाधिकारिओं तथा श्री मुनिसुव्रतनाथ दि. जैन मंदिर तुलसीनगर तथा महालक्ष्मी नगर के पदाधिकारिओं सहित धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने सभी वंधुओ से पधारने की अपील की है।

स्रोत- जैन गजट, 20 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/jis-manushya-k-jeevan-mai-shradha/

icon

Children education manual .pdf

2 Comments

img
James martin
Reply

Lorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.

img
James martin
Reply

Lorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.

Leave a comment