समग्र जैन समाज ने जैन धर्म के प्रवर्तक एवं प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) के जन्म कल्याणक दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग
राजस्थान सरकार के सचिवालय में विभिन्न संगठनों की ओर से दिया ज्ञापन – अवकाश घोषित करने की मांग ने पकड़ा जोर
जैन धर्म के प्रवर्तक एवं प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) के जन्म कल्याणक दिवस पर समग्र जैन समाज ने सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की राज्य सरकार से पुरजोर मांग की है। राजस्थान जैन सभा जयपुर, राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर, श्री धर्म जागृति संस्थान, जयपुर सहित कई संस्थाओं की ओर से अवकाश की मांग को लेकर गुरुवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री कार्यालय, सहकारिता राज्य मंत्री श्री गौतम कुमार दक के कार्यालय, राजस्थान सरकार में गृह राज्य मंत्री श्री जवाहर सिंह बेढम एवं सामान्य प्रशासन विभाग के शासन सचिव IAS डॉ जोगा राम जी को राजस्थान जैन सभा जयपुर, राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर, श्री धर्म जागृति संस्थान सहित अन्य संस्थाओं की ओर से ज्ञापन दिया गया।इस मौके पर राजस्थान जैन सभा जयपुर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप जैन, राजस्थान जैन सभा जयपुर के उपाध्यक्ष एवं राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा, श्री धर्म जागृति संस्थान, जयपुर के प्रदेश अध्यक्ष एवं जनकपुरी जैन मंदिर के अध्यक्ष पदम बिलाला, कामां जैन समाज के पदाधिकारी एवं कामां पंचायत समिति के पूर्व प्रधान रविन्द्र कुमार जैन, पल्लीवाल जैन समाज के मुकेश जैन सहित बडी संख्या में जैन बन्धु शामिल हुए, कार्यक्रम में राजस्थान जैन सभा जयपुर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि इस सम्बन्ध में जैन समाज द्वारा पूर्व में भी राज्य सरकार से मांग की गई थी।
इस सम्बंध में पुनः पत्र देकर अवकाश की मांग की गई है।
श्री धर्म जागृति संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष पदम बिलाला ने बताया कि पत्र में लिखा है कि जैन धर्म में चौबीस तीर्थंकर हुए हैं जिनमें प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) भगवान है।
वैसे तो जैन धर्म अनादि काल से चला रहा है किंतु प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को जैन धर्म के प्रवर्तक के रूप में माना जाता है।पत्र में उल्लेख किया गया कि भगवान आदिनाथ के सबसे बड़े पुत्र भरत प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हुए जिनके नाम पर ही इस देश का नाम भारत वर्ष पड़ा है ,भगवान आदिनाथ ने ही मनुष्य को जीने की कलाए असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, शिल्प और कला का उपदेश दिया एवं जीना सिखाया है । जैन पुराण साहित्य में अहिंसा, अस्तेय, अचौर्य,ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, भगवान आदिनाथ की ही देशनाएँ है । भगवान आदिनाथ के जन्म कल्याणक दिवस पर जैन धर्मावलंबियों द्वारा विशाल स्तर पर धार्मिक एवं सामाजिक आयोजन किये जाते हैं। इनमें पूरे देश के जैन धर्मावलंबी शामिल होते हैं। उक्त मांग बड़े लंबे समय से की जा रही है। वर्तमान में भारत में जैन धर्मावलम्बी अल्पसंख्यक श्रेणी में आते है और उनके हितों की रक्षा एवं उनकी भावनाओं का सम्मान करना सरकार का दायित्व है। राजस्थान जैन सभा जयपुर के अध्यक्ष सुभाष चन्द जैन एवं महामंत्री मनीष बैद के मुताबिक आदिनाथ भगवान के जन्म कल्याणक अर्थात जन्म जयंती चैत्र कृष्ण नवमी जो इस वर्ष 23 मार्च 2025 को है, जिसे तीर्थंकर दिवस के रूप में जाना जाता है , अतः सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की जाए,अल्पसंख्यक विभाग को भी इस सम्बंध में पत्र लिखा गया है।यदि राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही अवकाश घोषित नहीं किया गया तो राजस्थान जैन सभा के तत्वावधान में पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जाकर जिला कलेक्टरों के माध्यम से ज्ञापन दिये जाएगें। इस सम्बंध में माननीय राज्यपाल महोदय से भी मुलाकात की जाएगी, इस विषय में जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा फागी ने अवगत कराया कि पूर्व में भी जैन पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन, कोषाध्यक्ष दिलीप जैन, फागी परिक्षेत्र से वरिष्ठ एडवोकेट विनोद जैन चकवाड़ा, फागी पंचायत समिति के पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा, अग्रवाल समाज फागी के अध्यक्ष महावीर झंडा, सरावगी समाज फागी के अध्यक्ष महावीर अजमेरा सहित परिक्षेत्र के सभी पदाधिकारीयों ने भी राजस्थान सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित विभिन्न अधिकारियों से मांग की गई थी लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई थी लेकिन हम सभी पुनः अनुरोध करते हैं कि उक्त दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए।
स्रोत- जैन गजट, 20 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/rajasthan-sarkar-k-sachivalya-mai-vibhin-sanghathno/
Copyright © 2024 All Rights Reserved
2 Comments
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.