नैनवा 22 अगस्त को आचार्य श्री सुनील सागर महाराज के शिष्य सविज्ञसागर जी महाराज के प्रेरणा* से संपूर्ण दिगंबर जैन समाज के युवाओं ने किशनगढ़ पहुंचकर आचार्य श्री का वर्षा योग में वर्षा योग की पत्रिका का विमोचन हुआ
नैनवा 22 अगस्त को आचार्य श्री सुनील सागर महाराज के शिष्य सविज्ञसागर जी महाराज के प्रेरणा* से संपूर्ण दिगंबर जैन समाज के युवाओं ने किशनगढ़ पहुंचकर आचार्य श्री का वर्षा योग में वर्षा योग की पत्रिका का विमोचन हुआ
आशीर्वाद प्राप्त किया किशनगढ़ में अपार जन समूह को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने नैनवा युवा मंच का गठन किया
सभी युवाओं को धर्म देशना का उद्बोधन दिया
सत्संग में जाने से धर्म का ज्ञान प्राप्त होता है
23 अगस्त शुक्रवार शांति वीर धर्म स्थल पर प्रातः जैन मुनि श्रुतेशसागर सागर महाराज ने बताया आज सत्संग गांवों में शहरों में धर्म प्रभावना के लिए लगाए जाते हैं
मनि ने बताया कि बड़े-बड़े जिनालयों का पैसा इकट्ठा होने पर बैंकों में जमा कराया जाता है उसे पैसे को बैंक वाले अधिक ब्याज में मुर्गी पालन कत्ल कारखाना में पैसा देने से हिंसा पाप लगना मुनि ने बताया
मनुष्य धर्म के उत्तम अच्छे कार्य करने से मनुष्य पर्याय की पहचान होती है सभी प्रकार के वैभव प्राप्त होने पर भी मनुष्य धर्म से दूर भाग रहा है
धर्म से ही वैभव टिका रहेगा धर्म क्रिया न करने पर पर संपूर्ण वैभव कब चला जाएगा उसे मालूम भी नहीं होगा परिणाम में सरलता होना मनुष्य का गुण है सुख शांति के लिए मनुष्य दिन-रात दौड़ा-दौड़ा फिर रहा है उसे सुख शांति नहीं मिल रही इसका कारण मनुष्य स्वयं है
आत्मा में आनंद तभी मिलेगा जब अधिक वस्तुओं का संग्रह नहीं करेगा श्रणिक मात्र का सुख दुख अधिक होना मुनि ने बताया
सुख कम दुख ज्यादा है
जैन मुनि सविज्ञसागर जी महाराज आचार्य सुनील सागर महाराज के परम पावन शिष्यों तप साधना का आज चौथे दिन उपवास 96 घंटे में मुनि ने बताया
जिनवाणी अनमोल है जो जीव ग्रहण करता है निश्चित ही उसे जीव का कल्याण होता है आज सुख से ज्यादा मनुष्य दुखी हो रहा है इसका कारण और कोई नहीं स्वयं मनुष्य ही होना बताया
आज का मनुष्य अपनी स्वयं गलती कर दूसरे पर डाल रहा है और खुद खरा बना रहा है अज्ञानता के कारण ही मनुष्य के परिणाम में कालीमा चढ़ गई है यही दुख का कारण है
मनुष्य छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा पसाद कर रहा है अशिष्ट भाषा अपमानित शब्दों का प्रयोग कर रहा है इसका इसका कारण यह है हमने अपना उपयोग धर्म कमाने में कम और कर्म कमाने में अधिक किया है जीवन में आचरण में धर्म नहीं उतरेगा तब तक दुख जीव को भोगना पड़ेगा
आज पंचम काल में मनुष्य की बुद्धि मिथ्यातव में लगी हुई है स्वयं के कर्मों का फल उसी को भोगना होगा
गंदा कपड़ा होने पर उसे साबुन सर्फ से साफ किया जाता है तभी वह साफ दिखाई देता है अपने मन को साफ करने के लिए भगवान का अमृत जल का स्नान करने पर ही मन साफ होगा
ऐसा मुनि ने बताया
आज भक्तामर स्तोत्र के पुनार्जन दिगंबर जैन समाज द्वारा दीप प्रज्वलित चित्र अनावरण पाद पक्षालन मंगलाचरण की प्रस्तुति
स्रोत- जैन गजट, 24 अगस्त, 2024 यहां:https://jaingazette.com/acharya-shri-108-sunil-सागर-महाराज/
Copyright © 2024 All Rights Reserved
2 Comments
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.