आचार्य श्री वसुनन्दी महामुनिराज को अपार जन समूह के मध्य शाश्वत “प्राकृत भाषा चक्रवर्ती” अलंकरण से किया विभूषित
मुनि श्री प्रज्ञा नंद को उपाध्याय पद प्रदान किया गया
धर्म जागृति संस्थान के प्रेरणा श्रोत परम पूज्य आचार्य श्री १०८ वसु नन्दी जी महामुनिराज के पद कमलों में शनिवार 07 दिसम्बर को महावीर जिन मन्दिर फ़िरोज़ाबाद में हुई जैन समाज की एक वृहद् सभा में 26 पिच्छी धारी संतों , विद्वतों व दस राज्यो के समाज जनों की उपस्थिति में गुरु गुण गौरव प्रशस्ति पत्र पद कमलों में समर्पित कर शास्वत “प्राकृत भाषा चक्रवर्ती” अलंकरण से विभूषित कर अपार जन समूह ने स्वयं को गौरान्वित महसूस किया, कार्यक्रम में धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री संजय जैन बडजात्या कामां व प्रांतीय अध्यक्ष पदम् जैन बिलाला के अनुसार इस अवसर पर श्री महावीर जिन मंदिर छदामी लाल ट्रस्ट के अध्यक्ष महावीर जैन ,मंत्री दिव्यांश जैन ,ट्रस्टी राजीव पांड्या जयपुर ,चातुर्मास संयोजक विनोद जैन मिलेनियम ,धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री ई० भूपेन्द्र जैन दिल्ली,रमेश चंद गर्ग अध्यक्ष बोलखेड़ा,प्रांतीय अध्यक्ष पदम् जैन बिलाला जयपुर , प० मुकेश जैन शास्त्री सहित बहुत से गणमान्य भक्त जनों की गरिमामय उपस्थिति रही कार्यक्रम अतिथियों द्वारा चित्र अनावरण , दीप प्रज्वलन व प्रांतीय धर्म जागृति संस्थान के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन जैन चौधरी अलवर परिवार द्वारा गुरुवर के पाद प्रक्षालन से शुभारम्भ हुआ । समारोह में मुनि संघ का पिच्छी परिवर्तन व आचार्य श्री १०८ वसुनंदी जी द्वारा संघस्थ मुनि श्री 108 प्रज्ञा नंद जी को उपाध्याय पद के संस्कार विधि विधान पूर्वक प्रदान कर प्रज्ञा श्रमण उपाध्याय श्री प्रज्ञा नंद महाराज नामकरण किया गया तो इस अवसर पर गुरुवर ने श्रावकों को सम्बोधित करते हुए कहा की पद ,व्याधि, उपाधि समाधी में सहायक नहीं होते हैं। अचार्यों को समय आने पर अपने शिष्यों को पद और उपाधि से अलंकृत कर अपने भार को हल्का करते रहना चाहिए
कार्यक्रम में प्रांतीय धर्म जागृति संस्थान के संरक्षक ज्ञान चन्द जैन , महामंत्री सुनील पहाड़िया , कोषाध्यक्ष पंकज लुहाड़िया , हरीश धड़ुका सोभाग अजमेरा , रवि जैन विधान सभा व वीर सेवक मण्डल के सदस्यों के अलावा जयपुर से बहुत से महानुभावों की उपस्थिति रही ।
स्रोत- जैन गजट, 13 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/muni-shri-pragya-nand-ko-upadhyaksh-pad-pradan/
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2 Comments
James martin
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