तीर्थ हमारी आस्था, श्रद्धा के केन्द्र होने के साथ-साथ ही हमारी ऐतिहासिक अमूल्य धरोहर भी हैं। इनका संरक्षण, संवर्द्धन हम सभी का दायित्व और कर्त्तव्य है।
सिद्धक्षेत्र गिरनार जी हमारा प्रमुख तीर्थ क्षेत्र है लेकिन वहाँ के जैसे हालात हैं वह किसी से छिपे नहीं है
तीर्थ हमारी आस्था, श्रद्धा के केन्द्र होने के साथ-साथ ही हमारी ऐतिहासिक अमूल्य धरोहर भी हैं। इनका संरक्षण, संवर्द्धन हम सभी का दायित्व और कर्त्तव्य है।
सिद्धक्षेत्र गिरनार जी हमारा प्रमुख तीर्थ क्षेत्र है लेकिन वहाँ के जैसे हालात हैं वह किसी से छिपे नहीं है, असामाजिक तत्व जिस तरह से हमारे तीर्थ यात्रियों के साथ बुरा व्यवहार करते हैं वह भी किसी से छिपा नहीं है, वहाँ पर जिस तरह से अवैध कब्जा, अतिक्रमण हो रहा है उससे प्रत्येक जैनी की आत्मा आहत है। सारे प्राचीन इतिहास चीख-चीख कर जैन सिद्धक्षेत्र होने के पुख्ता प्रमाण दे रहे हैं फिर भी कोई सुनने वाला नहीं है। गिरनार पर्वत पर 22वें जैन तीर्थंकर नेमीनाथ भगवान से संबंधित पुरातात्विक प्रमाण जैसे प्रमाण अन्य किसी भी धर्म के भारत के पुरातत्व विभाग को प्राप्त नहीं हुए हैं।
विगत दिनों सिद्धक्षेत्र गिरनार जी मुद्दा राजनीतिक गलियारों में खूब छाया रहा। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में भी इसकी खबरें खूब आयीं। शुरुआत समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी के x पर ट्वीट से हुई जिसमें उन्होंने लिखा कि-‘ देश भर के जैन समाज में इस बात को लेकर बेहद आक्रोश है कि उनके पूजा स्थलों और तीर्थों को कुछ बहुसंख्यक प्रभुत्ववादी लोग लगातार अपने क़ब्ज़े में लेते जा रहे हैं। ऐसे कुप्रयासों से शांतिप्रिय, अहिंसक अल्पसंख्यक जैन समाज में चतुर्दिक असंतोष जन्म ले रहा है। ये भारत की विविधता के विरूद्ध एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है जिसमें गुजरात के गिरनार से लेकर शिखरजी तक देश भर के कई अन्य जैन तीर्थस्थलों पर भी कुछ लोग कुदृष्टि लगाये बैठे हैं।जैन समाज के तीर्थ स्थलों व मंदिरों को बचाने के लिए सबको एकजुट होना चाहिए। हमारी माँग है कि हर अल्पसंख्यक समाज को अपनी परंपरागत पूजा, उपासना या इबादत का संविधान सम्मत हक़-अधिकार मिलना चाहिए।”
इस पर केंद्रीय मंत्री किरन रिजीजू ने भी x पर ट्वीट कर अखिलेश यादव जी को जबाब दिया। इन ट्वीट के बाद यह मुद्दा सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया। इसके बाद दो दिसम्बर 2024 को सुविख्यात सिद्ध क्षेत्र गिरनार जी मुद्दे पर सहारनपुर से सांसद माननीय इमरान मसूद ने लोक महत्व के विषय पर संज्ञान लेने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को नोटिस दिया और शून्यकाल के दौरान अपनी बात रखने की इजाजत मांगी वह नोटिस स्वीकार भी हो गया , जानकारी के मुताबिक विपक्ष के नेता माननीय राहुल गांधी की भी इस नोटिस पर सहमति थी। लेकिन 2 दिसम्बर को लोकसभा स्थगित हो गयी। श्री विपिन जैन सहारनपुर के मुताबिक- नोटिस स्वीकृत होने के बाद अगर संसद किसी वजह से स्थगित भी हो जाती है तो भी स्वीकृत नोटिस को सदन की कार्यवाही का हिस्सा माना जाता है। सांसद इमरान मसूद का श्री गिरनार जी सिद्ध क्षेत्र को लेकर दिया गया नोटिस अब सदन की कार्रवाई का हिस्सा है।
सांसद इमरान मसूद जी ने शून्यकाल के दौरान मामला उठाने के लिए जो सूचना लोकसभा को दी है, उसमें लिखा है कि -आज मैं सदन का ध्यान एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे की ओर आकर्षित करना चाहता हूं, यह न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है,बल्कि अल्पसंख्यक जैन समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर व अधिकारों की सुरक्षा का प्रश्न है। माननीय महोदय, गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित पवित्र गिरनार पर्वत भारत वर्ष के प्राचीनतम धर्म,जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ की मोक्षस्थली है,भगवान नेमिनाथ की निर्वाण भूमि,जिसे सदियों से जैन धर्मावलंबी श्रद्धा और आस्था से पूजते आए हैं,आज वहां जबरन कब्जा किया जा रहा है,अकबरनामा जैसे प्रतिष्ठित ऐतिहासिक ग्रंथ, ब्रिटिश कालीन रिपोर्ट्स,ASI रिपोर्ट्स और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेज यह साबित करते हैं कि गिरनार पर्वत जैन धर्म का बेहद प्राचीन तीर्थस्थल है, इस विषय में गुजरात हाई कोर्ट ने भी स्पष्ट निर्देश दिया है कि जैन धर्मावलंबी वहां शांति से पूजा-अर्चना कर सकते हैं,1991 में पारित उपासना स्थल कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि 15 अगस्त 1947 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता। लेकिन कानून का उल्लंघन करते हुए कोराना काल में चुपचाप वहां पर अन्य धर्म की मूर्ति स्थापित करा दी गयी,गिरनार में जैन तीर्थस्थल को अकारण विवादों में घसीटा जा रहा है।
सभापति महोदय, जैन समुदाय,जो देश का एक शांतिप्रिय और अल्पसंख्यक वर्ग है, उनके साथ इस प्रकार का अन्याय हमारी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष व्यवस्थाओं पर प्रश्न चिह्न लगाता है। स्थानीय जूनागढ़ प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता के कारण ही ऐसे तत्व बढ़ावा पा रहे हैं।
सभापति महोदय, मैं इस सदन के माध्यम से मांग करता हूं कि अल्पसंख्यक जैन समाज के पवित्र तीर्थ स्थलों गिरनार जी,शिखरजी, पालिताना जी, और अन्य जैन तीर्थस्थलों की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जैन तीर्थ स्थल संरक्षण बोर्ड बनाया जाये। 1991 के उपासना स्थल कानून का सख्ती से पालन किया जाए। धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर कब्जा करने वाले असामाजिक तत्वों और इसमें शामिल अवांछनीय तत्वो के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये।
सभापति महोदय, भारत विविधताओं में एकता का देश है,यहां हर समुदाय धर्म का सम्मान होना चाहिए, जैन समाज, जो विश्व मे अहिंसा और शांति का प्रतीक है, को न्याय दिलाना और उनकी आस्थाओं की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है,यह सिर्फ जैन समाज की नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय विरासत और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा का प्रश्न है।
गिरनार मुद्दा राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय रहा। जैन समाज का कर्त्तव्य बनता है कि जैसे भी हो अपनी ऐतिहासिक , सांस्कृतिक विरासत को सहेजने, सम्हालने, बचाने के जो भी अवसर मिलें उनका लाभ लेना चाहिए। क्योंकि हमारे प्राचीन तीर्थों से ही हमारी पहचान है।
गिरनार से प्राप्त और जूनागढ़ संग्रहालय (गुजरात) में संगृहीत 12-13वी सदी की प्राचीन मूर्ति के ऊपरी भाग में 22वे जैन तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान व नीचे श्रद्धालु दानी दंपत्ति और हाथी पगला, गिरनार व सोमनाथ से प्राप्त प्राचीन शिलालेख गिरनार पर प्राचीन जैन तीर्थ होने के पुरातात्विक अकाट्य प्रमाण।
स्रोत- जैन गजट, 5 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/sidhshetra-girnar-ki-goonj-sansad-tak/
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James martin
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