राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की धर्मनगरी धरियावद में वात्सल्य मूर्ति, प्रज्ञा श्रमण मुनि 108 श्री पुण्य सागर जी महाराज के ससंघ (19 पिच्छी) सान्निध्य में 9 दिवसीय श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन धूमधाम से किया गया।
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की धर्मनगरी धरियावद में वात्सल्य मूर्ति, प्रज्ञा श्रमण मुनि 108 श्री पुण्य सागर जी महाराज के ससंघ (19 पिच्छी) सान्निध्य में 9 दिवसीय श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन धूमधाम से किया गया। समारोह की शुरुआत 22 नवंबर को घटयात्रा और ध्वजारोहण से हुई। पुण्यार्जक ख्यालीलाल-तिलक देवी (सौधर्म इंद्र-इंद्राणी), प्रवीण-गौरी (चीकू), राजीव-सपना गनोड़िया परिवार समेत अन्य इंद्र-इंद्राणियों ने 29 नवंबर तक भक्ति भाव से सिद्ध परमेष्ठी भगवान की आराधना की। इस दौरान विधान मंडल सके विभिन्न वलयों में 8, 16, 32, 64, 128, 256, 512 और 1024 अर्घ्य चढ़ाए गए। प्रतिष्ठाचार्य पंडित हंसमुख जैन, बाल ब्रह्मचारिणी वीणा दीदी एवं ब्रह्मचारी विकास भैया के निर्देशन में ये भी आयोजन हुए। विधानाचार्य पंडित भागचंद जैन शास्त्री के कुशल संचालन में संगीतकार हरजीत एंड पार्टी की मधुर धुन के साथ सभी इंद्र-इंद्राणियों और श्रावक-श्राविकाओं ने भक्ति में झूमते हुए प्रभु का गुणगान किया।
सिद्ध चक्र महामंडल विधान समारोह के दौरान प्रतिदिन सांयकालीन सभा में जिनेंद्र भगवान और मुनि श्री की आरती के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से आई अंशुल जैन एंड पार्टी ने जैन धर्म की महिमा बताते हुए अलग-अलग सुंदर नाटिकाओं का मंचन किया। कलाकारों ने श्रीपाल-मैना सुंदरी, सौधर्म इंद्र की सभा, भरत-बाहुबली का वैराग्य समेत अन्य नाटिकाओं में अपने अभिनय से श्रावक-श्राविकाओं का मन मोह लिया। मीडिया प्रभारी अशोक कुमार जेतावत ने विधान की सभी खबरों को समाचार पत्रों और चैनलों तक पहुंचाई। साथ ही छायाकार पंकज अग्रवाल ने सभी पलों को अपने कैमरे में कैदकर धर्म की प्रभावना की।
प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी महाराज की परंपरा के चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री अजीत सागर जी महाराज के शिष्य एवं पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के संघस्थ मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज ने सिद्ध चक्र महामंडल की महिमा बताई। धर्मसभा में मुनि श्री ने कहा कि सिद्ध परमेष्ठी भगवान के अनंत गुण होते हैं, जिनका हम अपने जीवन में गुणगान नहीं कर सकते हैं। इसलिए उनके गुणों की आराधना हम विधान और पूजन में करते हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक कार्य के अवसर बार-बार नहीं मिलते हैं। अवसर निकल जाता है, तो फिर हाथ में कुछ नहीं आता है। इसलिए धार्मिक अनुष्ठान के कार्यों को कभी खाली नहीं जाने देना चाहिए। ऐसे कामों में उत्साह से भाग लेकर पुण्यार्जन करना चाहिए।
श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान का समापन 29 नवंबर को विश्वशांति महायज्ञ के साथ हुआ। 30 नवंबर को नगर में श्रीजी की भव्य रथयात्रा निकाली गई। समस्त इंद्र-इंद्राणी और श्रावक-श्राविकाएं भक्ति भाव से झूमते हुए प्रभु की रथयात्रा में शामिल हुए। जुलूस महावीर स्वामी मंदिर से पुराना बस स्टैंड, सुभाष पार्क, हनुमान चौराहा होते हुए पुनः जिनालय पहुंचा। यहां धर्म ध्वजा का अवरोहण करते हुए समारोह का विधिपूर्वक समापन किया गया।
इससे पूर्व धर्मसभा में श्री दिगंबर जैन दसा नरसिंहपुरा समाज, धरियावद के सेठ भंवरलाल दिनेश कुमार जैकणावत, राजमल पटवा, इंदरमल पटवा, सुंदरलाल गनोड़िया, सागरमल बोहरा, धनपाल वक्तावत, भंवरलाल पचोरी, चेतन गनोड़िया, पुष्करराज बोहरा, सुरेश पचोरी, महावीर सुंदरोत, भरत रत्नावत समेत अन्य समाजजनों ने बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत सत्कार किया।
स्रोत- जैन गजट, 3 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/dhariyavad-mai-muni-punya-sagar-maharaj/
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James martin
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