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जैन एस्ट्रोनॉमी भारतीय ज्ञान परम्परा की निधि

जैन एस्ट्रोनॉमी सैद्धान्तिक एस्ट्रोनॉमी से पूर्ववर्ती है। वेदांग ज्योतिष के बाद इसी का स्थान आता है। इसकी अपनी अनेक विशेषताएँ एवं परम्परायें किन्तु साम्य भी बहुत है।

जैन एस्ट्रोनॉमी सैद्धान्तिक एस्ट्रोनॉमी से पूर्ववर्ती है। वेदांग ज्योतिष के बाद इसी का स्थान आता है। इसकी अपनी अनेक विशेषताएँ एवं परम्परायें किन्तु साम्य भी बहुत है।
भारत में वेदांग ज्योतिष, जैन एस्ट्रोनॉमी एवं सैद्धान्तिक एस्ट्रोनॉमी तीनों में राशियों के स्थान पर नक्षत्रों को महत्त्व दिया गया है। प्रत्येक राशि में 2.25 नक्षत्र होते हैं। भारतीय ऋषियों ने अपनी अचूक गणना विधियों के माध्यम से प्राकृतिक घटनाओं, सूर्य ग्रहण आदि की तिथि, अवधि एवं स्थान की सटीक भविष्यवाणी करने की विधियाँ विकसित की जो आज भी पंचागों में अपनाई जाती है।
आपने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के एम.टेक. के छात्रों को स्टेलेरियम साफ्टवेयर डाउनलोड कर देर रात्रि उनको तारों पर फोकस कर नक्षत्रों का ज्ञान प्राप्त करने हेतु प्रेरित किया। आपने कहा कि मैं बोस्टन की अधेरी रातों में शहर से 25-30 किमी. दूर, जहाँ मालों की रोशनी न हो, जाकर नक्षत्रों का अध्ययन करता हूँ। भारत के प्रसिद्ध एस्ट्रोनॉमर डॉ. नरहरि अचार ने महाभारत के 10 दिनों की अवधि मे पड़े सूर्यग्रहण आदि की सटीक तिथियों की गणना कर भारत का इतिहास प्रामाणिक बना दिया। जैन गणित के क्षेत्र में डॉ. अनुपम जैन की ख्याति पूरे विश्व में है।
उक्त विचार मैगनस इंजीनियरिंग बोस्टन-अमेरिका से पधारे प्रमुख न्यूक्लियर इंजीनियर श्री पंकज शाह ने आज दिनांक 2 दिसम्बर को प्राचीन भारतीय गणित केन्द्र-देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर द्वारा आयोजित इंडियन एस्ट्रोनॉमी शीर्षक व्याख्यान में व्यक्त किये। ज्ञातव्य है कि डॉ. शाह विख्यात न्यूक्लियर वैज्ञानिक है किन्तु एस्ट्रोनॉमी उनका शौक है।
कार्यक्रम का संयोजन गणित के आचार्य डॉ. अनुपम जैन ने किया। ज्ञातव्य है कि भारत सरकार ने भारतीय ज्ञान परम्परा जैन गणित केन्द्र की देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में स्थापना की है। इसके मुख्य अन्वेषक प्रो. अनुपम जैन है। आपने वि.वि. में संचालित हो रहे भारतीय ज्ञान परम्परा केन्द्र की गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि भारत में पहले गणित एस्ट्रोनॉमी का एक भाग था। आज स्थिति उल्टी हो गई है एवं एस्ट्रोनोमी गणित की एक शाखा हो गई है तथापि एस्ट्रोनोमी का महत्त्व कम नहीं हुआ है। हमें गणित एवं ज्योतिर्विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए।
सदन में उपस्थित एम.टेक. के छात्र/छात्राओं ने अनेक प्रश्न कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।
रसायन विज्ञान अध्ययनशाला के सभागृह में आयोजित व्याख्यान में श्री पंकज शाह का स्वागत डाटा विज्ञान एवं पूर्वानुमान अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. वंदित हेडाऊ ने किया। श्रीमती मनोरमा शाह का स्वागत प्रशासनिक सहयोगी कु. तनिष्का जैन ने किया। कु. काकुल शर्मा परियोजना सहायक का विशेष सहयोग रहा।

स्रोत- जैन गजट, 3 दिसंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/jain-estronomy-bhartiye-gyan-parampara/

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