आत्मा से परमात्मा बनने की कला सिखाता है पंचकल्याणक : मुनि श्री सुप्रभसागर
ललितपुर।
अतिशय क्षेत्र बानपुर में 25 नवम्बर सोमवार से श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रमण मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज, श्रमण मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज, आर्यिका श्री विजिज्ञासामती माता जी ससंघ के सान्निध्य में शुरू होने जा रहा है। महोत्सव 29 नवम्बर तक चलेगा।
25 नवम्बर को गर्भ कल्याणक महोत्सव में प्रातः घटयात्रा निकाली जाएगी, ध्वजारोहण होगा, यागमण्डल विधान, मुनिश्री के प्रवचन, आरती , सम्यक समाधान आदि कार्यक्रम होंगे।
रविवार को मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज ने नया जैन मंदिर बानपुर में अपने प्रवचनों में कहा कि
मनुष्य जन्म के सातिशय पुण्य से पंचकल्याणक मना पाते हैं। पंचकल्याणक, जैन धर्म में तीर्थंकर परमात्माओं की पांच महत्वपूर्ण घटनाओं को कहते हैं- गर्भ कल्याणक, जन्म कल्याणक, दीक्षा कल्याणक, केवल ज्ञान कल्याणक, मोक्ष कल्याणक। पंचकल्याणक को आत्मकल्याणक का मार्ग माना जाता है। इन घटनाओं के ज़रिए आत्मा से परमात्मा बनने की कला सीखी जा सकती है।पंचकल्याणक महोत्सव में कई तरह की विधियां होती हैं।
आर्यिका विजिज्ञासामती माता जी के अपने सम्बोधन में पंचकल्याणक महोत्सव की महत्ता को प्रतिपादित किया।
इस मौके पर ब्र. साकेत भैया, ब्र. राकेश भैया, ब्र. रूबी दीदी, प्रतिष्ठाचार्य पंडित मुकेश शास्त्री गुड़गांव, प्रतिष्ठाचार्य पंडित अखिलेश शास्त्री, पंडित दयाचंद जैन, पंडित संतोष शास्त्री सौरई, डॉ सुनील संचय, कैलाश शास्त्री आदि प्रमुखता से उपस्थित रहे।
स्रोत- जैन गजट, 25 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/aaj-se-banpur-mai-panchkalyanak-pratistha-mahotsav/
Copyright © 2024 All Rights Reserved
2 Comments
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.