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राजधानी दिल्ली में भावलिंगी संत ने प्रदान की 13 भगवती जिनदीक्षायें

भावलिंगी संत रोष्ट्‌योगी श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामु‌निराज के कर कमलों से सम्पन्न हुई 13 भगवती जिनदीक्षाये राजधानी दिल्ली की पवित्र धरती से सम्पूर्ण विश्व संयम की सुगंध 13 अव्यात्माओं ने ली भगवती जिनदीक्षा 

भावलिंगी संत रोष्ट्‌योगी श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामु‌निराज के कर कमलों से सम्पन्न हुई 13 भगवती जिनदीक्षाये राजधानी दिल्ली की पवित्र धरती से सम्पूर्ण विश्व संयम की सुगंध 13 अव्यात्माओं ने ली भगवती जिमदीक्षा। जिनशासन में फैली जिनागम पंथ की अतिशयकारी अचिन्त्य प्रभावना करेंगी बा. ब्रह्मचारिणी विशु दीदी के साथ सभी दीक्षार्थी भव्यात्मायें ।
15 नवम्बर को प्राप्तकाल की पीयूष बेला में सभी दीक्षा प्राप्त करने वाले सभी भव्यात्मामों ने जैन दीक्षा का प्रथम चरण के रूप में मंगल केशलौंच सम्पन्न हुआ। पश्चात् मंगल स्नान विधि के साथ सभी भव्य दीक्षार्थियों ने श्री सिद्ध भगवंतों की पूजाकर गुरुपूजन सम्पन्न की। सभी मोक्षमार्गी दीक्षार्थियों आचार्य श्री ससंघ का मंगल पड़‌गाहन कर अपने श्राविका ने जीवन में अंतिम आहार संपन्न कराया। दोपहर की मंगल बेला में आचार्यश्री चतु‌र्विध संघ के साथ “जिनतीर्य मण्डपम्” में पधारे।
समाज के गणमान्य महानु‌भावों के द्वारा चित्र अनावरण एवं मंगल दीप प्रज्वलित किया । भजनसम्राट श्री रूपेश जैन द्वारा अनुष्ठान का प्रारंभिक मंगलाचरण किया गया ।
पूज्य आचार्य श्री विमर्श नागर जी महामुनिराज द्वारा रचित मौलिक कृति “विमर्श लिपि” “अपोत्या प्राकृत टीका” का एक नई सोच के रूप में लोकार्पण समारोह में आये विद्वानों, प्रतिष्ठित राजनेताओं एवं अनेक महानुभावों द्वारा किया गया। आचार्य श्री भावलिंगी बटे के “स्वर्ण चर्चा महोत्सव” के समापन के अवसर पर, प्रत्येक गुरु भक्तों, विद्वानों और कई महान हस्तियों के अर्थ को शब्दों में पिरोकर महान “भावलिंगी संत अभिवंदन” महाग्रंथ का विमोचन भी किया गया। संपूर्ण देश। विभिन्न आयोजनों के बाद दोपहर में बा. ब्र. विशुदिदी सहित 13 दीक्षार्थियों को भगवती जिनदीक्षा प्रदान की गई।

भावलिंगी संत ने अपनी शिष्य – शिष्याओं को नवीन नाम प्रदान करते हुए व्रतों के संस्कार किए.
1- बाल ब्रह्मचारिणी विशुदीदी – आर्यिका विमर्शिता श्री माताजी
2 – बा.ब्र. नेहा दोदी- आर्यिका विहर्षिता श्री माताजी
3 – बा.ब्र. रिया दीदी- आर्यिका विदर्शिता श्री माताजी
4- बा. ब्र. महिमा दीदी- आर्यिका विवंदिता श्री माताजी
5- बा. ब्र. ज्योति दीदी- आर्यिका विनन्दता श्री माताजी
6- बा. ब्र. गुंजन दीदी- आर्यिका विपर्शिता श्री माताजी
7- बा. ब्र. सोनाली दीदी- आर्यिका विज्ञर्शीता श्री माताजी
8- बा. ब्र. दीपा दीदी- आर्यिका विदिपिता श्री माताजी
9- बा. ब्र. प्रतीक्षा दीदी- आर्यिका विवर्षिता श्री माताजी
10- बा. ब्र. प्रवीन भैयाजी- छूल्लक विश्वग्र सागर जी महाराज
11- बा. ब्र. मित्रवती दीदी- क्षुल्लिका विमोचिता श्री माताजी
12- बा. ब्र. रीता दीदी- क्षुल्लिका विरोचिता श्री माताजी
13-  सृष्टि दीदी- क्षुल्लिका विकर्षिता श्री माताजी

स्रोत- जैन गजट, 18 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/bhind-se-sonal-jain-ki-report-4/

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