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पिच्छिका परिवर्तन समारोह में बोले निर्यापक मुनि योग सागर

रहली अतिशय क्षेत्र पटनागंज रहली परम पूज्य गुरुदेव आचार्य विद्यासागरजी की तपस्थली है जहां पटना गंज के अतिशयकारी बड़े बाबा भगवान महावीर स्वामी की भक्ति करते हुए स्वास्थ्य लाभ पाया था,दो कदम चल नहीं पाते थे छः सौ किलोमीटर चलकर शिरपुर महाराष्ट्र पहुंचे थे। 

गुरु विद्यासागर जी की तपस्थली पर चातुर्मास करना मेरा

सौभाग्य

रहली अतिशय क्षेत्र पटनागंज रहली परम पूज्य गुरुदेव आचार्य विद्यासागरजी की तपस्थली है जहां पटना गंज के अतिशयकारी बड़े बाबा भगवान महावीर स्वामी की भक्ति करते हुए स्वास्थ्य लाभ पाया था,दो कदम चल नहीं पाते थे छः सौ किलोमीटर चलकर शिरपुर महाराष्ट्र पहुंचे थे। उस स्थान पटनागंज में नवाचार्य समय सागर जी ने चातुर्मास करने की आज्ञा दी यह मेरा सौभाग्य है पटना गंज में 73 दिन व्यतीत करने के बाद बुंदेलखंड की उनकी अंतिम यात्रा थी।

                    उक्त आशय का प्रवचन पिच्छिका परिवर्तन समारोह में देते हुए श्रेष्ठ निर्यापक मुनिश्री योगसागर जी ने कहा कि पिच्छिका निर्दोष अहिंसा व्रत पालन करने का आवश्यक उपकरण है। पिच्छिका के बिना निर्वांण की प्राप्ति नहीं हो सकती।अपने गृहस्थ बड़े भाई और गुरु विद्याधर से विद्यासागर तक मिले साथ और संस्कार उनके उपकारों का वर्णन करते हुए मुनि श्री योग सागर जी ने बताया कि 5 वर्ष की उम्र में उन्होंने णमोकार मंत्र बोलना सिखाया था तभी से वे हमारे गुरु हैं 63 वर्ष के सानिध्य में वृति बना,छुल्लक फिर ऐलक,और मुनि बना अल्प बुद्धि को ज्ञान देकर निर्यापक मुनि बनाया उनके उपकारों का एहसान जन्मो जन्मो तक नहीं चुका सकता मेरी भी उम्र हो चली है बस गुरुजी से यही प्रार्थना करते यही तमन्ना है जहां आप हैं मुझे भी वही आना है।

समारोह के दूसरे चरण का संचालन करते हुए मुनि श्री निरामय सागर जी ने कहा कि परम पूज्य गुरुदेव आचार्य विद्यासागरजी ने अतिशय क्षेत्र पटना गंज में 73 दिन यूं ही नहीं बताऐ यहां क्षेत्र के मूलनायक भगवान महावीर स्वामी बड़े बाबा  के साथ-साथ और भी कई अतिशय हैं वर्ष में तीन बार अष्ठानिका पर्व आता है जिसमें नंदीश्वर दीप की पूजा होती है यहां क्षेत्र पर नंदीश्वर दीप की लघु लेकिन प्राचीन रचना है इसके साथ गंध कुटी है पंचमेरू की रचना है प्राचीन सहस्त्राकूट जिनालय है, अद्वितीय भगवान पार्श्वनाथ की शहस्त्र फणी प्रतिमा है, समवशरण की रचना है भगवान मुनीसुब्रत नाथ जी का अद्भुत समवशरण है। गुरुदेव के कठिन तप और भक्ति से कुंडलपुर में प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जी को विशाल जिनालय  में उच्चासन देने के बाद पटनागंज में अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जीर्ण शीर्ण जिनालय से बाहर लाकर उन्हें भी उच्चाशन देने की व्यवस्था देकर समाधिस्थ हुए लेकिन समय सागर जी के रुप में आचार्य और श्रेष्ठ निर्यापक मुनि श्री योग सागर जी महाराज का सानिध्य देकर गये ।

 मुनिश्री निरोग सागर जी ने बताया कि 131 मुनियों के विशाल संघ में मुनि श्री निरामय सागर जी एक मात्र परम सौभाग्य शाली मुनि है जो दीक्षा लेने समय से समाधि होने तक ग्यारह  वर्ष गुरुदेव के साथ पल पल रहे और गुरु सेवा का परम सौभाग्य पाया मुनि श्री ने बताया कि मुनि श्री योग सागर जी का भी परम सौभाग्य है कि उन्होंने अंतिम समय गुरुदेव को श्रेष्ठ वैयावृत्ती कराते हुए उत्कृष्ट समाधि कराई और हम सब का सौभाग्य है की परम तपस्वी करोड़ों मंत्र जाप करने वाले मुनिश्री योग सागर जी का सानिध्य मिल रहा है।

         समारोह में सर्व प्रथम मुनिश्री योग सागर जी को पिच्छिका देने का सौभाग्य रहली के ब्रह्मचारी भैया रजनीश विकास राकेश कपिल जी को मिला और संयम धारण कर पिच्छिका लेने का सौभाग्य गुलाब चंद्र छिरारी को प्राप्त हुआ।इसी प्रकार मुनिश्री निरोग सागर को पिच्छिका देने श्रीमति रंजीता विनीत जैन और लेने वाले सुमन जिनेन्द्र बरौदावाले, मुनि श्री निर्मोह सागर को पिच्छिका देने श्रीमति नीलम मनोज दमोह एवं लेने में मधु स्वदेश सागर,मुनि श्री निरामय सागर को पिच्छिका देने वाले ब्रह्मचारिणी गुड्डो दीदी सरिता दीदी एवं पिच्छिका लेने वाले सविता संजय कुमार जैन एवं नगर गौरव निर्भीक सागर को देने वालों में सरोज संतोष फुटेरा,सरिता रामा बैद्य,मणी संदीप जैन, एवं पिच्छिका लेने वाले सुष्मिता सुरेन्द्र जैन आजाद को सौभाग्य मिला।

           ऐलक श्री सुधार सागर को संगीता दिलीप जैन बंटू

    भैया,लेने वाले मीना टी सी जैन, ऐलक चैत्य  सागर जी को देने वालेअर्चना मयंक सोधिया महाराजपुर ,पिच्छिका लेने रजनी राकेश जैन चांदपुर,ऐलक अपार सागर जी को देने में पुष्पा प्रेमचंद जैन जूना परिवार लेने वालों में आराधना आनंद जैन पालमपुर परिवार,ऐलक श्री तन्मय सागर जी देने में रामकुमार प्रीति मोदी लेने मेअंजु जयकुमार बहेरिया,ऐलक श्री स्वागत सागर जी को देने में अर्चना अजित सिंघई बिलहरा, लेने वालों में अंजना राजकुमार मुन्ना भैया पटना,ऐलक श्री आगत सागर को,लता आनंद बरखेरा एवं पिच्छिका लेने में शेफाली ऐश्वर्य सिंघई,ऐलक भारत सागरजी को सुभाष चंद्रकांता जैन एवं लेने वालों में मंजुलता विमल जैन जूना के नाम रहे।

      प्रारंभ में जैन धर्मशाला रहली से पिच्छिकाओं की शोभायात्रा निकाली गई मंच पर बहिन शीमू जैन ने मंगलाचरण करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया ब्रह्मचारिणी कल्पना दीदी बंडा ने भावपूर्ण गुरु पूजन कराया कुंडलपुर,बीना बारहवां,बंडा पजनारी सहित अनेक स्थानों से आए मंदिर समिति सदस्यों ने आचार्य श्री विद्यासागर जी के चित्र का अनावरण किया आश्रम से आयी बहनों ने दीप प्रज्वलित किया पाठशाला के नन्हीं बेटियों ने धर्म सुधा बरसाने वाले भजन पर नृत्य प्रस्तुत किया बालकों ने लोकतान्त्रिक देव बनकर रेंप पर चलते हुए पिच्छिकाओं को मंच तक पहुंचाया,ट्रस्ट , पंचायत, चातुर्मास, निर्माण, युवक समितियों, महिला मंडल,बहुत,बालिका मंडल,वीरोदय विद्यापीठ स्कूल, पाठशाला, चातुर्मास एवं मुनि सेवा समिति सदस्यों द्वारा पिच्छिकाओं का विमोचन किया कार्यक्रम में देश भर से हजारों लोगों ने आयोजन में उपस्थित होकर क्षेत्र दर्शन का सौभाग्य लिया।

स्रोत- जैन गजट, 14 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/pichhika-parivartan-samaroh-mai-bole-niryapak/
 

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