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एक ऐसे दिगंबर जैन संत जो शंका का समाधान कर नई पहचान लिए हुए है।

आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्यों की एक लम्बी श्रृंखला में इतने अनमोल रत्नों को गुरुदेव ने तराशा हुआ है। उन्हें धर्म के मार्ग से जोड़ कर समाजिक व राष्ट्रीय दायित्व को निभाने की जो प्रेरणा आचार्य श्री ने दी थी । वह  अहिंसा पंथ पर चलकर जैन धर्म की नींव को मजबूत करने के लिए बहुत ही प्रभावी है ।

आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्यों की एक लम्बी श्रृंखला में इतने अनमोल रत्नों को गुरुदेव ने तराशा हुआ है। उन्हें धर्म के मार्ग से जोड़ कर समाजिक व राष्ट्रीय दायित्व को निभाने की जो प्रेरणा आचार्य श्री ने दी थी । वह  अहिंसा पंथ पर चलकर जैन धर्म की नींव को मजबूत करने के लिए बहुत ही प्रभावी है । ऐसे ही परम प्रभावक शिष्य प्रखर वक्ता शंका का  समाधान कर के एक नई पहचान लिए हुए दिंगबर जैन मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ससंघ अहिल्या धरा इन्दौर में संस्कृति की अमूल्य धरोहर व अध्यात्म उर्जा को जागृत करने के लिए चातुर्मास करने जा रहे हैं।

 हजारीबाग झारखंड जहां जन्म लेकर पिता जी सुरेन्द्र कुमार जैन व माता सोहनी देवी के घर में जन्मे यहां  ऊर्जा का स्तोत्र बालक नवीन संसारी माया मोह में नहीं बंध सका। तभी तो राजनांदगांव छत्तीसगढ़ में आप को वेराग्य भाव उत्पन्न हुआ। सिध्द क्षेत्र आहार जी टीकमगढ़ में क्षुल्लक दीक्षा उसके बाद ऐलक दीक्षा 1987मे धुवैन जी उसके बाद 1988 में सिध्द क्षेत्र  सोनागिरी दतिया मध्यप्रदेश में मुनि दीक्षा ली। मुनि श्री प्रमाणसागर जी गंभीर चिंतन के साथ सहज व सरलता के प्रतिक है। 

वह लाखों करोड़ों भक्तों के लिए सच्चे मार्ग दर्शक है तभी तो शंका – समाधान के मध्यम से दुख तकलीफ़ विसंगतियों को दूर करने के लिए धर्म के दिखाए गए  पवित्र व सच्चे मार्ग पर चलने की सलाह देते वह दिगंबर जैन मुनि जो भव भव से भटक रहे प्राणियों के लिए समाधान के प्रेरणास्रोत हैं। हम सभी गुरु भक्तों ने देखा की मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने कोरोना काल में जब सभी लोग भयभीत थे तब भावना योग आदि कई प्रकार की साधना से समाजिक जन जागरण के सेतू बनने का काम आप ने किया। संत महात्मा हमेशा से धर्म जागरण के साथ साथ समाज व राष्ट्र के प्रति अपनें वात्सल्य को बढ़ते हैं। तभी तो गंभीर संकट की घड़ी में मुनि श्री प्रमाण सागर जी ने टेलीविजन व अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट के मध्यम से ईश्वर की भक्ति में लोगों को लगाया था। उनके शंका समाधान कार्यक्रम की लोकप्रियता के   कई आयामों को छु लिया है । विधा गुरु की छत्रछाया में उस मजबूत नींव की यह इमारत भगवान आदिनाथ से महावीर तक के जीवन से प्रेरणा लेकर बुलंदी को छु रही है। 

तभी तो राजस्थान में सल्लेखना / संथारा को न्यायालय आत्महत्या मान रहा था  न्यायालय ने रोक लगाने की बात कहीं तों मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने इस विषय पर बड़ा आंदोलन 2015 में छेड़ा उन्होंने बताया की सल्लेखना संथारा जैसे जैन साधना के प्रमुख अंग है। एक साथ एक ही दिन पूरे भारत में इसे आत्महत्या मनाने वालों के खिलाफ मौन प्रदर्शन किया था। उन्होंने बताया था कि सल्लेखना आत्महत्या नहीं यह मृत्यु के अवश्यंभावी हों जाने की स्थिति में जैन साधना द्वारा साधना प्रद्धति है। मुनि श्री प्रमाण सागर जी 30 वर्षों से आचार्य विद्यासागर महाराज जी  के संघ में अन्य साधुओं के साथ विहार करते आ रहे हैं। निरंतर अपने ज्ञान ध्यान और तप के प्रति पूर्ण सजग और सर्मापित है। आप हिन्दी संस्कृत और प्राकृत भाषा के मूर्धन्य मनीषी है। अंग्रेजी भाषा पर आपका अच्छा अधिकार है  मुनि प्रमाण सागर जी दिगंबर जैन साधु है जिन्होंने णमोकार महामंत्र का 1 करोड़ बार जप करने का कार्यक्रम आयोजित किया था। 

शरीर को स्वस्थ मन को शीतल ओर आत्मा कों शुद्ध बनाने के लिए विचार वस्तु बन जाता है। प्राचीन भारतीय उक्ति को आधुनिक रूप में पुनर्परिभाषित करके भावना यज्ञ भी विकसित किया। यह बहुत ही बड़ी बात है कम समय में भगवान की साधना से मनुष्य को अपने अन्तर आत्मा में लीन कर लेना बहुत बड़ी साधना है। गुणायतन सोपानों को प्रौढ़ चिंतन परिकल्पना को जीवन्त प्रमाण है। सम्मेद शिखरजी की तलहटी में में निर्माणाधीन ज्ञान मंदिर बन रहा है। मधुवन शिखर जी में श्री सेवायतन मानव कल्याण व दयोदय महासंघ गौ संरक्षण कार्य कर रहा है। ऐसे पूज्यनीय व जिनवाणी की साधना में लीन अपने गुरु के बताए मार्ग पर चलकर मां अहिल्या की पुण्य भुमि  पर  इन्दौर में आप  का चातुर्मास इन्दौर के   मोहता भवन बास्केटबॉल स्टेडियम के पास जंजीर वाला चौराहे पर सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। आप अभी इन्दौर में ही विराजमान हैं।। जिस प्रकार से सूर्य की किरणों से जगत का अंधकार मिट जाता है सिध्दांतों में छुपे वैज्ञानिक तथ्यों को अपनी सरल भाषा हिंदी में सभी का मार्गदर्शन कर रहे ऐसे परम प्रभावक पुज्य संत का इन्दौर में चातुर्मास सम्पन्न हुआ  जो सदियों तक जाना जाता रहेगा । वहीं अभी अष्टानिका महापर्व पर 108 श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं रथावर्तन महोत्सव शुरू हो गया यह कार्यक्रम भी जैन धर्म के इतिहास में सबसे भव्य आयोजन मुनि श्री के ससंघ नेतृत्व में धर्म के ज्ञान की गुरु जी के नाम की ज्योत प्रज्वलित हो रही है ।  हम सभी का अंधकार मिटता जा रहा है। ऐसे साधक परम पूज्य संत भावना योग के प्रखर प्रभावक मुनि प्रमाणसागर महाराज जी के चरणों में नमोस्तु  गुरु देव बारम्बार नमोस्तु।

स्रोत- जैन गजट, 12 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/ek-aise-digamber-jain-sant-jo-sant/

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