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कल्पधुव्र महामंडल विधान में बैठकर मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने दी भव्य दिव्य देशना

आचार्य चतुर्थ पटाधीश सुनील सागर महाराज के परम पावन शिष्यों का वर्षा योग समापन के दौरान कल्प ध्रुव मंडल विधान में बैठने वाले 61 इंद्र इंद्राणी बनकर प्रभु की भक्ति कर रहे हैं अपार जैन बंधुओ इसका लाभ प्राप्त कर रहे हैं श्रुतेशसागर जी दिव्या देशना करते हुए बताया
प्रतिष्ठाचार्य कुमुद सोनी अजमेर ने बताया कि आज 12 पूजा के 720 श्री फल चढ़ाएंगे

आचार्य चतुर्थ पटाधीश सुनील सागर महाराज के परम पावन शिष्यों का वर्षा योग समापन के दौरान कल्प ध्रुव मंडल विधान में बैठने वाले 61 इंद्र इंद्राणी बनकर प्रभु की भक्ति कर रहे हैं अपार जैन बंधुओ इसका लाभ प्राप्त कर रहे हैं श्रुतेशसागर जी दिव्या देशना करते हुए बताया
प्रतिष्ठाचार्य कुमुद सोनी अजमेर ने बताया कि आज 12 पूजा के 720 श्री फल चढ़ाएंगे
इस संसार में गुरु से बड़ा कोई नहीं
जैन मुनि श्रुतेशसागर जी सागर महाराज मुनिश्री सविज्ञसागर जी महाराज क्षुल्लक सुप्रकाश जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया
इस असार संसार में गुरु के द्वारा ज्ञान से भक्त संसार में तीर जाता है आज में इस पद में पर बैठकर आगम की वाणी आपको बता रहा हूं यह मेरे गुरुदेव भगवन सुनील सागर महाराज की आशीष कृपा से यहां पहुंचा हूं वह इतने बड़े त्याग तपस्या करने वाले हैं की डूबने वाले को अपने हाथ से पड़कर मार्ग बताते हैं
मुनि ने यह भी बताया कल्प धुव मंडल में बैठने वाले पूरे नैनवा में धर्मात्मा जीव है अपनी आत्मा का कल्याण करने के लिए 8 दिन का समय निकालकर पूजा अर्चना अभिषेक शांति धारा का भरपूर लाभ प्राप्त कर रहे हैं यह अवसर पुण्य से प्राप्त होता है इस संसार में सारे रिश्ते स्वार्थ पर टिके हुए हैं आज परिवार में सारे के सारे परिवार जन रिश्तेदार स्वार्थ के ही आपके नहीं है उनका स्वार्थ समाप्त होते हैं वह अपना रंग दिखा देते हैं
जिस प्रकार करेले से कड़वे लोग भी मुसीबत आने पर काम आ जाते हैं शक्कर से मीठे लोग वक्त पर अक्सर धोखा दे जाते हैं
आप शब्दों से बुद्धिमान ना बने कर्मों से बुद्धिमान बने कर्म अच्छे से अच्छे करो कर्म से मनुष्य की अनोखी पहचान होती है मनुष्य संसार से जाने के बाद भी लोग उसके जन्मोत्सव मना कर उन्हें याद करते हैं उन्होंने बताया ,मुनि आचार्य आदि सागर आचार्य महावीर कीर्ति महाराज आचार्य विमल सागर जी महाराज परम तपस्वी सम्राट आचार्य समिति सागर महाराज हैं जिनका आज भी पूरा विश्व उनके गुणु को पूजते हैं जयंती महोत्सव पदारोहण दिवस आदि मानते हैं
नैनवा दिगंबर जैन 20 पथ समाज के अध्यक्ष कमल कुमार जैन मारवाड़ा ने अपने संबोधित में बताया कि 50 वर्षों में पहली बार ऐसा वर्षा योग हुआ है जिसमें पूरे भारतवर्ष में अड़तालीस उपवास निर्जला करके जैन मुनि सविज्ञ सागर जी महाराज ने नैनवा का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा दिया यह सब प्रभाव आचार्य सुनील सागर महाराज की कृपा से हुआ है

स्रोत- जैन गजट, 11 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/kalpdhruv-mahamandal-vidhan-mai-bethak/

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2 Comments

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James martin
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