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जयपुर शहर में विभिन्न जिनालयों में जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर का मनाया 2551वां निर्वाणोत्सव हर्षोल्लास पूर्वक

जयपुर शहर में भगवान महावीर के 2551 वें निर्वाणोत्सव पर विभिन्न जिनालयों में सकल जैन समाज की अगुवाई में दिगम्बर साधु संतों पावन सानिध्य में आयोजित निर्वाण लाडू महोत्सव पर शुक्रवार को भगवान महावीर के मोक्ष कल्याणक दिवस एवं 2551 वें निर्वाणोत्सव पर शहर के 250 से अधिक दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना सहित निर्वाण लाडू चढाने के विशेष आयोजन किए गए 

जयपुर शहर में भगवान महावीर के 2551 वें निर्वाणोत्सव पर विभिन्न जिनालयों में सकल जैन समाज की अगुवाई में दिगम्बर साधु संतों पावन सानिध्य में आयोजित निर्वाण लाडू महोत्सव पर शुक्रवार को भगवान महावीर के मोक्ष कल्याणक दिवस एवं 2551 वें निर्वाणोत्सव पर शहर के 250 से अधिक दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना सहित निर्वाण लाडू चढाने के विशेष आयोजन किए गए कार्यक्रम में युवा महासभा के विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि प्रातः अभिषेक, शांतिधारा के बाद भगवान महावीर की अष्ट द्रव्य से पूजा-अर्चना की गई ।

 पूजा के दौरान निर्वाण काण्ड भाषा के सामूहिक उच्चारण पश्चात जयकारों के साथ मोक्ष कल्याणक अर्घ्य तथा निर्वाण लाडू चढाया गया उन्होंने बताया कि गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी दीपावली के दूसरे दिन निर्वाण लाडू चढ़ाया गया कार्यक्रम कोटखावदा ने बताया कि उत्तर पुराण में आचार्य गुणभद्र (7- 8 वीं शताब्दी) ने लिखा है कि 15 अक्टूबर,527 बीसीई कार्तिक कृष्णा अमावस्या स्वाति नक्षत्र के उदय होने पर भगवान महावीर ने सुप्रभात की शुभ बेला में अघातिया कर्मों को नष्ट कर निर्वाण प्राप्त किया था।उस समय दिव्यात्माओं ने महावीर प्रभू की पूजा की और अत्यंत दीप्तिमान जलती प्रदीप-पंक्तियों के प्रकाश में आकाश तक को प्रकाशित करती हुई पावां नगरी सुशोभित हुई। 

सम्राट श्रेणिक आदि नरेन्द्रों ने अपनी प्रजा के साथ निर्वाण उत्सव मनाया।उसी समय से प्रति वर्ष महावीर जैनेन्द्र के निर्वाण को अत्यंत भाव एवं श्रद्धा पूर्वक मनाया जाकर नैवेद्य (लाडू) से पूजा की जाती है, इसका उल्लेख प्रसिद्ध जैन ग्रंथ हरिवंश पुराण में भी हैं।जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 256 वर्ष साढ़े तीन माह बाद महावीर का जन्म हुआ था।72 वर्ष की उम्र के अन्त में श्री शुभ मिती कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी के अन्त समय (अमावस्या के अत्यंत प्रातः काल) स्वाति नक्षत्र में मोक्ष लक्ष्मी को प्राप्त किया।उसी समय भगवान महावीर के प्रथम गणधर श्री गौतम स्वामी को केवल ज्ञान रुपी लक्ष्मी प्राप्त हुई और देवों ने रत्नमयी दीपकों का प्रकाश कर उत्सव मनाया इस मौके पर मानसरोवर के वरुण पथ स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य शशांक सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में, अग्रवाल फार्म स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर थड़ी मार्केट में उपाध्याय वृषभानन्द महाराज ससंघ के सानिध्य में, प्रतापनगर के सैक्टर 8 स्थित श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में उपाध्याय उर्जयन्त सागर महाराज के सानिध्य में,दुर्गापुरा के श्री चन्द्रप्रभू दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि पावन सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में, बरकतनगर के श्री चन्द्रप्रभू दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि अर्चित महाराज के सानिध्य में, मीरा मार्ग पर स्थित श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में अर्हं योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागर महाराज के सानिध्य में, कीर्ति नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि समत्व सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में, टौक रोड पर नांगल्या बीलवा के श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में गणिनी आर्यिका नंगमति माताजी ससंघ के सानिध्य में विशेष आयोजन किए गए तथा निर्वाण लाडू चढाया गया

 श्री जैन के मुताबिक सांगानेर के श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर संघीजी, आगरा रोड स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चूलगिरी, मोती सिंह भोमियो का रास्ता स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर चौबीस महाराज,मंदिर जीऊबाईजी, गोपालजी का रास्ता स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर कालाडेरा (महावीर स्वामी ), तारों की कूंट पर सूर्य नगर स्थित श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सहित शहर के 250 से अधिक मंदिरों में पूजा अर्चना एवं निर्वाण लाडू चढ़ाने के विशेष आयोजन किए गए ।

स्रोत- जैन गजट, 5 नवंबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/jaipur-shehar-mai-vibhinn-jinalyon/

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