विश्व वन्दनीय, जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर का 2551 वां निर्वाणोत्सव महामहोत्सव शुक्रवार, 1 नवम्बर को भक्ति भाव से मनाया जावेगा।
इंदौर
विश्व वन्दनीय, जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर का 2551 वां निर्वाणोत्सव महामहोत्सव शुक्रवार, 1 नवम्बर को भक्ति भाव से मनाया जावेगा। इस अवसर नगर एवं प्रदेश भर के कस्बे सहित जिले के सभी जिनालयों दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना सहित निर्वाण लाडू चढाने के विशेष आयोजन किए जाएंगे। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ‘ने बताया कि प्रातः जिन अभिषेक, नित्य नियम पुजन शांतिधारा के बाद भगवान महावीर स्वामी की अष्ट द्रव्य से पूजा-अर्चना की जाएगी। पूजा के दौरान निर्वाण काण्ड भाषा के सामूहिक उच्चारण पश्चात जयकारों के साथ मोक्ष कल्याणक अर्घ्य तथा निर्वाण लाडू चढाया जाएगा। राजेश जैन के अनुसार इंदौर नगर में चातुर्मास रत आचार्य, मुनि, आर्यिका ससंघो के मंगलमय सानिध्य में दिगम्बर जैन मंदिर छत्रपति नगर आदिनाथ जिनालय में मुनि विनम्र सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में अध्यक्ष भुपेंद्र जैन एवं मंत्री विपुल बाझल के नेतृत्व में प्रातः 8.00 बजे निर्वाण लाडू चढाया जायेगा। मोहता भवन जंजीरवाला चोराहा पर परम पुज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी ससंघ के सानिध्य में, ग्रेटर बाबा में परम पुज्य मुनि श्री पुज्य सागर जी के मंगलमय सानिध्य में, अंजलि नगर में आचार्य श्री उदार सागर जी ससंघ के सानिध में निर्वाणोत्सव मनाया जाकर निर्वाण लाडू चढाया जावेगा।
बींस पंथी मंदिर में आर्यिका माता जी के सानिध्य में भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण महोत्सव मनाया जाएगा ।
वरिष्ठ समाजसेवी डॉ जैनेन्द्र जैन ने कहा कि
भगवान महावीर का अमावस्या को प्रातः काल हुआ था महानिर्वाण उत्तर पुराण में आचार्य गुणभद्र ने सातवीं आठवीं शताब्दी में लिखा है कि 15 अक्टूबर 527 वि.स.ई. की कार्तिक कृष्ण अमावस्या स्वाति नक्षत्र के उदय होने पर भगवान महावीर ने सुप्रभात की शुभ बेला में अघातिया कर्मों को नष्ट कर निर्माण प्राप्त किया था उस समय दिव्य आत्माओं में महावीर प्रभु की पूजा अर्चना की और अत्यंत दीप्ति मान जलती प्रदीप पंक्तियों के प्रकाश में आकाश तक को प्रकाशित करती हुई पावा नगरी सुशोभित हुई सम्राट श्रेणिक आदि नरेंद्रों ने अपनी प्रजा के साथ निर्माण उत्सव मनाया उसी समय से प्रतिवर्ष महावीर जिनेंद्र के निर्माण को अत्यंत भाव एवं श्रद्धा पूर्वक मनाया जा रहा है नैवेद लाडू से पूजा की जाती है जैन ने बताया कि इसका उल्लेख प्रसिद्ध जैन ग्रंथ हरिवंश पुराण में भी है जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पारसनाथ के 256 वर्ष साढ़े तीन माह बाद महावीर का जन्म हुआ था 72 वर्ष की उम्र के अंत में श्री शुभ मिति कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के अंत समय अमावस्या के प्रातः काल स्वाति नक्षत्र में मोक्ष लक्ष्मी को प्राप्त किया इस समय भगवान महावीर के प्रथम गणधर श्री गौतम स्वामी को केवल ज्ञान रूपी लक्ष्मी प्राप्त हुई और देवों ने रत्न मई दीपकों का प्रकाश कर उत्सव मनाया
स्रोत- जैन गजट, 28 अक्टूबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/vishva-vandniye-bhagwan-mahavir/
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James martin
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