कृतियों का हुआ विमोचन
जीवन शास्त्र है मेरी भावना : मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज
‘मेरी भावना’ पर मुनिश्री की देशना कृति ‘मेरी…मेरी भावना’ पर मूर्धन्य मनीषियों ने प्रस्तुत किए शोधालेख
लख़नऊ।
कृतियों का हुआ विमोचन
जीवन शास्त्र है मेरी भावना : मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज
‘मेरी भावना’ पर मुनिश्री की देशना कृति ‘मेरी…मेरी भावना’ पर मूर्धन्य मनीषियों ने प्रस्तुत किए शोधालेख
लख़नऊ। परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज , मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज के मङ्गल सान्निध्य में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सआदतगंज लखनऊ में अमृतोद्भव पावसयोग लख़नऊ के तत्वावधान में डॉ. श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत के निर्देशन व डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर के संयोजकत्व में 19 व 20 अक्तूबर 2024 को दो दिवसीय ‘मेरी…मेरी भावना’ अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया। जिसमें देश के मूर्धन्य मनीषी विद्वानों ने अपने आलेख प्रस्तुत किए।
19 अक्टूबर 2024 को प्रातः 8 बजे से संगोष्ठी के उदघाटन सत्र में समागत विद्वानों ने आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्ज्वलन किया इसके बाद पाद प्रक्षालन व शास्त्र भेंट किया गया। संगोष्ठी में दो दिन में चार सत्र आयोजित हुए जिसमें 18 विद्वानों ने अपने महत्वपूर्ण आलेख प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी में डॉ० श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत (अध्यक्ष अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद ) , डॉ० जयकुमार जैन मुजफ्फरनगर , (अधिष्ठाता श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर,जयपुर) , प्रोफेसर श्रीयांस सिंघई जयपुर (राष्ट्रीय संस्कृत विश्विद्यालय जयपुर सेवानिवृत्त प्रोफेसर) , ब्रह्मचारी जयकुमार निशांत टीकमगढ़ (महामंत्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद) ,प्रो. अशोक कुमार जैन वाराणसी (अध्यक्ष-अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत् परिषद), प्रो. अभय कुमार जी जैन लखनऊ (उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश शोध संस्थान लखनऊ) , पंडित विनोद जैन रजवांस (उपाध्यक्ष अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद), ब्र. डॉ.अनिल जैन (प्राचार्य आचार्य संस्कृत महाविद्यालय सांगानेर जयपुर), डॉ. विमल जैन जयपुर, प्रो अनेकांत जैन दिल्ली (लाल बहादुर संस्कृत विश्विद्यालय दिल्ली) , पंडित पवन जैन दीवान सागर (उपाध्यक्ष अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद) ,डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर (संगोष्ठी संयोजक), राजेन्द्र जैन महावीर सनावद (सह संपादक जैन गजट) , डॉ०पंकज जैन इंदौर (कार्यकारणी सदस्य शास्त्री परिषद-विद्वत् परिषद), डॉ. आनंद जैन वाराणसी( सहायक आचार्य काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी) ,डॉ० सोनल कुमार जैन ,(संयुक्तमंत्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद दिल्ली), डॉ० बाहुबली जैन इंदौर, पं. प्रद्युम्न शास्त्री जयपुर( महामंत्री प्रभावना जनकल्याण परिषद) ,डॉ० राजेश शास्त्री ललितपुर,मनीष विद्यार्थी सागर, पंडित प्रिंस शास्त्री लखनऊ, संदीपकान्त जैन लखनऊ, अखिलेश शास्त्री आदि विद्वद्जन सम्मिलित हुए।
कृतियों का हुआ विमोचन : संगोष्ठी में महत्वपूर्ण कृतियों का विमोचन हुआ जिसमें मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज की प्रवचन कृति मेरी …मेरी भावना , 2023 में उज्जैन में मुनिश्री के सान्निध्य में संपन्न सुरभित मैत्री अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी की स्मारिका, जैन गजट साप्ताहिक लखनऊ का नया अंक व अहिंसा करुणा का गणाचार्य श्री विरागसागर विनयांजलि विशेषांक का विमोचन विद्वानों द्वारा किया गया।
आयोजन समिति द्वारा विद्वानों का सम्मान : आयोजन समिति द्वारा विद्वानों का भव्य सम्मान चातुर्मास समिति के अध्यक्ष हंसराज जैन, कार्याध्यक्ष जागेश जैन, संयोजक संजीव जैन
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सआदतगंज लखनऊ के अध्यक्ष वीरेन्द्र गंगवाल, महामंत्री प्रमोद गंगवाल, मंत्री मनोज छाबड़ा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विमलचंद बाकलीवाल, धर्मशाला प्रबंधक विकास जैन काला, कोषाध्यक्ष किशन गंगवाल, रितेश रावका, कमल रावका, नीरज जैन, विनय जैन, चित्रा जैन आदि ने किया।
आयोजन समिति को संगोष्ठी में प्रस्तुत आलेख भेंट किए गए जो पुस्तिकाकर में प्रकाशित होंगे।
डॉ. सुनील संचय को उत्कर्ष समूह ने किया सम्मानित : इस मौके पर 20 अक्टूबर को उत्कर्ष समूह भारत ने वर्ष 2024 का आचार्य श्री विशुद्धसागर पुरस्कार एवं प्रभावना पुरुषोत्तम उपाधि से डॉ सुनील जैन संचय ललितपुर को उत्कर्ष समूह के अध्यक्ष रवींद्र गहाणकर अमरावती, संयोजक अरविंद बुखारिया उज्जैन आदि तथा विद्वानों ने समारोह पूर्वक अलंकृत किया।
इस मौके पर श्रमण मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज ने कहा कि मेरी भावना में हमारा अपना जीवन्त जीवनशास्त्र है। जीवन की आचारसंहिता है। इसमें केवल जैनदर्शन का सार नहीं है, अपितु दुनियाँ के सभी धर्मों का नवनीत समाहित है। यह रचना भाईचारे और साम्प्रदायिक सहिष्णुता का पैगाम है। राष्ट्रीय चरित्र का शिलालेख है। मेरी भावना देश के विकास की इकाई के रूप में गाया गया एक मंगलगान है। यह जाति/धर्म/देश/समाज और भाषा की सीमा से उन्मुक्त, मनुष्य की मनुष्यता का गौरवगान है। इस छोटी सी रचना पर मेरी…मेरी भावना देशना कृति पर देश के मूर्धन्य मनीषियों ने अपने शोधालेख प्रस्तुत कर आलोडन-विलोडन किया। विद्वानों का जैन संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में अविस्मरणीय योगदान है।
मुनिश्री ने एक-एक शब्द के रहस्य को उद्घाटित किया : विद्वानों ने कहा कि पंडित जुगल किशोर जी मुख्तार की अद्भुत, अनुपम, अनूठी, अमर रचना ‘मेरी भावना’ पर परम पूज्य श्रमण मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने अपनी प्रवचन श्रृंखला के माध्यम से मेरी… मेरी भावना के रूप में प्रस्तुत किया है। मुनिश्री ने एक-एक शब्द के रहस्य को जहाँ उद्घाटित किया है वहीं अनेक उदाहरणों, श्लोकों, गाथाओं, शास्त्र उदाहरणों, मुक्तक और सूक्ति वाक्यों के माध्यम से इस कृति को जन-जन के लिए पठनीय बना दिया है।
संगोष्ठी में हुए चार सत्र : संगोष्ठी के चार सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः डॉ. श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत, डॉ. जयकुमार जैन मुजफ्फरनगर, ब्र. जयकुमार निशान्त टीकमगढ़, प्रोफेसर अशोक कुमार जैन वाराणसी व सत्र संचालन संयोजक डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर, प्रोफेसर अनेकांत जैन दिल्ली, श्री राजेंद्र जैन महावीर सनावद , पंडित विनोद जैन रजवांस ने किया। चार सत्रों में 18 आलेख प्रस्तुत किए गए।
स्रोत- जैन गजट, 26 अक्टूबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/meri-bhavna-anusheelan-rastriye-vidvat-sangothi/
Copyright © 2024 All Rights Reserved
2 Comments
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.
James martin
ReplyLorem ipsum dolor sit amet, cibo mundi ea duo, vim exerci phaedrum. There are many variations of passages of Lorem Ipsum available but the majority.