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धर्म, समाज, संस्कृति और मानव सेवा को समर्पित हैं आजाद जी

हर दिल अजीज, हंसमुख, मिलनसार एवं संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी श्रीआजाद कुमारजी जैन ( अज्जू भैया ) का आज अवतरण दिवस है। 23 अक्टूबर 1949 को इंदौर में जन्मे अज्जू भैया ने अपने जीवन में शून्य से शिखर तक की यात्रा की और लघुता से प्रभुता का मान पाया है।

हर दिल अजीज, हंसमुख, मिलनसार एवं संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी श्रीआजाद कुमारजी जैन ( अज्जू भैया ) का आज अवतरण दिवस है। 23 अक्टूबर 1949 को इंदौर में जन्मे अज्जू भैया ने अपने जीवन में शून्य से शिखर तक की यात्रा की और लघुता से प्रभुता का मान पाया है। संप्रति आप महादानी होकर निरभिमानी की तरह सादा जीवन उच्च विचार की जीवन शैली को अपनाते हुए और जीवन के एवरेस्ट पर बिना रेस्ट किए बढ़ते हुए धर्म, समाज, संत, संस्कृति, जीव दया और मानव सेवा के प्रति समर्पित रहकर 76 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। आप नगर की गौरवशाली दिगंबर जैन समाज एवं
परवार समाज के वरिष्ठ सदस्य होने के साथ-साथ नगर में भामाशाह परिवार के रूप में चर्चित बीड़ी वाला परिवार के सदस्य हैं।
यहां यह उल्लेख करना अतिशयोक्ति पूर्ण नहीं होगा कि धर्म, समाज और परमार्थ के क्षेत्र में बीड़ी वाला परिवार की सक्रियता वंदनीय है। परिवार के पितृ पुरुष स्वर्गीय मूलचंद जी एवं उनके ज्येष्ठ पुत्र समाज शिरोमणि स्वर्गीय भैया सुंदरलाल जी ने भी अपने जीवन में धर्म, समाज, संत सेवा और मानव सेवा के प्रति समर्पित रहकर अपने नगर के साथ साथ प्रदेश के अन्य शहरों में भी अपने स्व अर्जित धन के माध्यम से मानव सेवा और परमार्थ के कई अनुकरणीय कार्य संपादित कर कीर्तिमान स्थापित किए और वर्तमान में अज्जू भैया सहित परिवार के अन्य प्रमुख सदस्य सर्वश्री नरेंद्र कुमार जैन पप्पाजी, पैथालॉजिस्ट , डॉ अशोक जैन, न्यूरोलॉजिस्ट डॉ दीपक जैन, फेमिली फिजिशियन डॉ राकेश जैन,उद्योगपति द्वय राजीव जैन एवं विकास जैन, कॉलोनाइजर अमित जैन(अवासा) आदि भी विरासत में मिले संस्कारों और समाज सेवा के माध्यम से अपनी कीर्ति ध्वजा फहरा रहे हैं।
आजाद जी सहित संपूर्ण परिवार श्रमण संस्कृति के महामहिम समाधिस्थ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं वर्तमान में आचार्य समयसागरजी एवं
चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के आशीर्वादों से उपकृत है
हम सब की कामना हैं कि
आजाद जी सहित संपूर्ण बीड़ी वाला परिवार धर्म, समाज सेवा एवं पारमार्थिक कार्यों में अहर्निश रत रहते हुए नए-नए प्रतिमान स्थापित करे और सदैव स्वस्थ्य, व्यस्त एवं मस्त रहते हुए खुश रहें, खुशहाल रहें और रहें मालामाल
डॉ जैनेंद्र जैन
श्रीमान संपादक महोदय कृपया 23 अक्टूबर को प्रकाशित कर अनूग्रहित करें। धन्यवाद

स्रोत- जैन गजट, 23 अक्टूबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/dharm-samaj-sanskriti-or-manav/

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