शांति वीर धर्म स्थल पर वर्षा योग कर रहे जैन मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने अपार धर्म सभा को संबोधित में बताया की गुरु के द्वारा ज्ञान मिलने पर ही मुनि मार्ग बनने का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं
शांति वीर धर्म स्थल पर वर्षा योग कर रहे जैन मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने अपार धर्म सभा को संबोधित में बताया की गुरु के द्वारा ज्ञान मिलने पर ही मुनि मार्ग बनने का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं
मुनि ने बताया कि संसार में दिगंबर मुनि की ऐसी पदवी है जो कभी भी परिवर्तन नहीं होती दिगंबर साधु का चोला ही उसकी पहचान बनती है बिना कपड़े के दिगंबर मुनि हाथ में पीछे और कमंडल से पूरे विश्व में पैदल भ्रमण करके जैन धर्म की अनोखी पहचान बनाते हैं
मुनि ने बताया की सरकार में प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री मिनिस्टर सबका एक समय होता है और समय के बाद में उनके पीछे पूर्व लग जाता है जबकि दिगंबर साधु की ऐसी पदवी है की कभी जीवन में पूर्व लगता ही नहीं है
दिगंबर संत की पदवी सबसे ऊंची इसलिए है कि हमेशा 24 घंटे में 18 घंटे भगवान की तप साधना में व्यतीत करते हैं संसारी भोगों से परे रहते हैं
नैनवा का उदाहरण देते हुए बताया की जैन मुनि सविज्ञसागर जी महाराज ने 48 दिन तक निर्जला उपवास करके जैन धर्म की शक्ति का प्रमाण बता दिया
दिगंबर मुनि के चरणों में बड़े-बड़े राजा महाराजा मिनिस्टर भी उनका आशीष प्राप्त करने के लिए पंक्तियों में खड़े रहते हैं
मुनि का आशीष ही सदा मंगलकारी होता है मुनि अपने मुख से कह देते हैं वह वचन सत्य प्रमाण होते हैं
जैन संत की संपूर्ण विश्व में एक अनोखी पहचान है
स्रोत- जैन गजट, 23 अक्टूबर, 2024 पर:- https://jaingazette.com/jain-muni-se-badi-sansar/
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2 Comments
James martin
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