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भक्तामर की आराधना जीवन में संजीवनी का काम करती

परम पूज्य भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका गुरु मां 105 विज्ञाश्री माताजी ससंघ श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुंसी राजस्थान की पावन धरा पर चातुर्मास चल रहा है। नवरात्रि एवं दशहरा के पावन अवसर पर 10 दिवसीय आराधना महोत्सव का भव्य आयोजन चातुर्मास समिति के द्वारा किया गया।

परम पूज्य भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका गुरु मां 105 विज्ञाश्री माताजी ससंघ श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुंसी राजस्थान की पावन धरा पर चातुर्मास चल रहा है। 

नवरात्रि एवं दशहरा के पावन अवसर पर 10 दिवसीय आराधना महोत्सव का भव्य आयोजन चातुर्मास समिति के द्वारा किया गया। प्रतिक जैन सेठी ने बताया की इस महोत्सव में आज दूसरे दिन की भक्तामर दीपार्चना करने का सौभाग्य अशोक झांझरी राहोली जैन समाज के अध्यक्ष एवं मांग्यावास जयपुर से मुनिसुव्रतनाथ महिला मंडल एवं संदीप जैन रूपनगढ़ सपरिवार वालों ने प्राप्त किया। 

भक्तों ने अतिशयकारी श्री शांतिनाथ भगवान के चरणों में भक्ति भाव के साथ आराधना संपन्न कराई। एक-एक कर 48 दीपक चढ़ाये गये। प्रतिक जैन सेठी ने बताया की पूज्य आर्यिका संघ की आहार चर्या करने का सौभाग्य मालवीय नगर सेक्टर 7 जयपुर समाज के प्रकाश जी शांतिलाल जी कमल जी जैन सपरिवार ने प्राप्त किया। भक्तामर स्तोत्र की महिमा का वर्णन पूज्य माताजी ने करते हुए कहां कि भक्तामर आराधना पंचम काल का मानो साक्षात कल्पवृक्ष है। इसकी आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। रोग शोक बाधाएं नाश करने वाली यह अलौकिक भक्ति है। भक्तामर स्तोत्र सचमुच संजीवनी साक्षात उदाहरण है।

स्रोत- जैन गजट, 4 अक्टूबर, 2024 पर: https://jaingazette.com/bhaktamar-ki-aradhna-jeevan/

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