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पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार को वर्तमान युग का श्रवण कुमार और श्रीमति सारिका जैन को सतयुग की नारी का गौरव प्रदान कर किया भाव भीना अभीनंदन

पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार को वर्तमान युग का श्रवण कुमार और श्रीमती संतरा गोधा, श्रीमती रेखा अजमेरा द्वारा श्रीमति सारिका जैन को सत युग की नारी का गौरव प्रदान कर भावभीना अभिनंदन कर सिर पर पगड़ी पहनाकर मालाओं के द्वारा भव्य स्वागत किया गया।

कोटा राजस्थान
श्री 1008 महावीर दिगम्बर जैन मंदिर समस्त के पदाधिकारियों द्वारा जिनमे
मिलाप चन्द, पारस झांझरी पारस पिडा़वा निर्मल लुहाड़िया राकेश गोधा महेद्र लुहाड़िया
प्रचार मन्त्री भूपेंद्र जैन पिडा़वा द्वारा पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार को वर्तमान युग का श्रवण कुमार और श्रीमती संतरा गोधा, श्रीमती रेखा अजमेरा द्वारा श्रीमति सारिका जैन को सत युग की नारी का गौरव प्रदान कर भावभीना अभिनंदन कर सिर पर पगड़ी पहनाकर मालाओं के द्वारा भव्य स्वागत किया गया। 

विदित हो कि ये गौरव विमल चन्द जैन की रात दिन सेवा को देखते हुवे प्रदान किया गया। मंदिर समिति के प्रसार प्रचार मंत्री भूपेंद्र जैन पिडावा वाले ने बताया कि जैन समाज की अनमोल मणि युवा पत्रकार गौरव सर्व श्रेष्ठ संवाद दाता अवार्ड विजेता 15 लाख मासूम बच्चों को मांस हारी होने से बचाने वाले भाव पूर्ण भजनों की शानदार प्रस्तुति देने वाले विगत 35 सालो से जैन पत्रकारिता में उल्लखनीय योगदान देने वाले आर के पुरम त्रिकाल चौबीसी के प्रसार प्रचार मंत्री राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी जैन गजट पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार को आज विभिन्न संतो का मंगल आशीर्वाद प्राप्त है आपकी धर्म पत्नी सद संस्कारो से युक्त श्रीकैलाश जैन श्रीमती कोशल्या जैन बारां की सुयोग्य सुपुत्री है ।

 विगत 16 अगस्त 2022 विमल चंद्र जैन को ब्रेन पेरे लैसिस बीमारी के शिकार हो गए थे। श्रीमती सारिका जैन और पार्श्वमणि जी रात दिन उनकी सेवा में लगे हुवे है उनको प्रतिदिन सुबह महामंत्र नमोकार, मेरी भावना, बारह भावना, वैराग्य भावना, तत्वार्थ सूत्र, भक्तामर पाठ, विनय पाठ सब सुनाते है डायपर बदलकर उनको नहलाते है । 

रोज इस काम में श्री मति सारिका जैन को दो बज जाती हैं उसके बाद ही खाना हो पाता है अपने पिताजी से बडकर अपने ससुर की सेवा में दिन रात लगी हुई है । विदित हो कि विमल चंद जैन ने विगत दो साल दो एक महीने से ब्रेन पेरे लाईसिस बीमारी से पीड़ित होने के बाद भी पूर्व राज पयूषण पर उन्होंने 7 उपवास और 3 व्रत असिहनीय पीड़ा को सहते हुवे निर्मल परिणामों के साथ समता भाव से किए है ये जैन समाज के लिए बड़े गौरव की बात है।

यह उनकी विगत दो साल की उत्कृष्ट सेवा का ही फल है कहा जा सकता है सुपुत्र पारस जैन पार्श्वमणि और पुत्र वधु श्रीमती सारिका जैन दिन रात उनकी सेवा में लगे हुवे है।

स्रोत- जैन गजट, 19 सितंबर, 2024, पर: https://jaingazette.com/paras-jain-parshmani-patrakar-ko-vartman-yug/

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James martin
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